कोरोना का नया 'रेड झोन' बना धार  प्रशासन की ढिलाई से संक्रमण फैला! 

- लॉक डाउन पास खुलकर बंटे, कहीं सख्ती नहीं, सीमाएं सील नहीं    

इंदौर। इंदौर के बाद कोरोना वायरस अब आसपास के जिलों में कोहराम मचाने लगा है। इस संक्रामक वायरस ने धीरे-धीरे आसपास के जिलों में भी पैर पसारना शुरू कर दिया। अब तक बचे रहे धार में भी कोरोना के मरीजों की संख्या 20 से ऊपर पहुँच गई! प्रशासन के ढीले रवैये ने स्थिति यहाँ तक ला दी, कि कर्फ्यू लागु करना पड़ा।  

    धार में 9 अप्रैल को कोरोना का पहला पॉजेटिव मरीज पाया गया था। इसके बाद ये संख्या 4 हो गई। फिर एक पॉजेटिव पीथमपुर में मिला। लेकिन, अचानक धार, कुक्षी और पीथमपुर में मरीजों की संख्या बढ़ी और 10 दिन में ये आंकड़ा 24 तक पहुँच गया। जबकि, अभी 300 से ज्यादा की रिपोर्ट आना बाकी है। कारण खोजे जाएं तो प्रशासन ने मामले की गंभीरता को लगता है ठीक से नहीं समझा। जब ये स्पष्ट हो गया था कि इंदौर 'रेड झोन' में है, तो धार जिले की सीमा को बंद क्यों नहीं किया गया! सीमा खुली रहने से लोगों की आवाजाही होती रही! इसके अलावा शहर में भी सख्ती दिखाई नहीं दी। सुबह 9-10 बजे तक लॉक डाउन का खुला उल्लंघन होता रहा! सब्जी, किराना और दूध खरीदने वालों की भीड़ आम दिनों की तरह लगती रही। ये भी एक बड़ा कारण है कि धार में संक्रमण ने हमला कर दिया।  

  लॉक डाउन बावजूद संक्रमित पहला मरीज अल्ताफ उज्जैन से धार आ गया और प्रशासन को पता भी नहीं चला। उक्त युवक में संक्रमण के लक्षण सामने आने के बाद उसने शहर में अलग-अलग प्रायवेट डॉक्टर्स से इलाज करवाया। सबसे बड़ी लापरवाही तो ये रही कि एक निजी अस्पताल ने उसे भर्ती भी कर लिया, बाद में गंभीर होने पर रेफर किया। बाद में पहले मरीज  पत्नी भी पॉजेटिव निकली। एक निजी अस्पताल की नर्स  पॉजेटिव होने से खतरे की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ग्राम पाडल्या की रहने वाली इस नर्स के पॉजेटिव मिलने के बाद उसके भाई की रिपोर्ट भी पॉजेटिव आई। 17 अप्रैल को जिला अस्पताल की दो स्टॉफ नर्स भी एक सफाईकर्मी के संपर्क में आने से संक्रमण की चपेट में आ गई। औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में एक संक्रमित युवक तरबूज बेचने वाला निकला। इसी बीच एक महिला भी पॉजेटिव पाई गई। कुक्षी में एक चाय की दुकान वाले युवक और उसके पिता को संक्रमित पाने के बाद स्थिति बिगड़ने का अंदाजा लगाया सकता है। ये युवक चाय बेचने के अलावा समाजसेवा कर रहा था और कई गरीबों को अनाज बाँटने में भी इसने मदद की! लेकिन, उसकी समाजसेवा ने कितनों  संक्रमित किया, अभी इसका खुलासा होना बाकी है।   

  इस सबके पीछे एक ही कारण नजर आता है कि प्रशासन ने मामले को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जितनी जरुरत थी। कई सब्जी व फल विक्रेताओं को लॉक डाउन के दौरान पूरे दिन सामान बेचने के पास जारी किए गए। पहला पॉजेटिव मिलने के बाद भी सख्ती नहीं दिखाई गई! जब, आंकड़ा 11 तक पहुंचा तो का सख्ती दिखाई, पर तब तक आंकड़ा 20 के ऊपर आ गया। इसके बाद ही कर्फ्यू  घोषणा की गई। डयूटी करने वाले अधिकांश कर्मचारियों को सुरक्षा किट उपलब्ध नहीं कराए गए। कुछ कर्मचारियों ने बताया की सुरक्षा किट तो दूर की बात है, मास्क व सेनेटाइजर भी उन्होंने खुद खरीदा है। एक जनप्रतिनिधि ने पूरे जिला अस्पताल का सेनेटाइजर ही घर मंगवा लिया।