इंदौर। शहर में सवा चार लाख मकान हैं। लॉक डाउन के चलते लोगों का पेट भर सके, इसके लिए निगम को खाद्य विभाग ने साढ़े तीन लाख अनाज के पैकेट बांटे! फिर भी कई लोग भूख से बिलख रहे हैं। समझ से परे है कि इतना अनाज आखिर कहाँ गया!
24 मार्च को कोरोना संक्रमण के चलते जिला प्रशासन ने लॉकडाउन व कर्फ्यू लगा दिया था। इससे व्यावसायिक प्रतिष्ठान के साथ आवश्यक वस्तुओं की दुकानों पर भी तालाबंदी हो गई। नतीजतन लोगों के सामने पेट भरने का संकट खड़ा हो गया। इसे देखते हुए निगम ने लोगों को अनाज पैकेट बांटने की योजना बनाई। खाद्य विभाग ने निगम को साढ़े तीन लाख अनाज के पैकेट उपलब्ध कराए, ताकि लोग भूख से परेशान न हो सके। अनाज के पैकेट वितरण को लेकर निगम रोज नए-नए आंकलन कर सार्वजनिक कर रहा है। उसके अनुसार अभी तक तीन लाख से अधिक लोगों को अनाज के पैकेट व भोजन बांटा जा चुका है। यह अनाज पॉश कालोनियों में नहीं बांटा गया। सारा अनाज झुग्गी-झोपड़ियों की बस्तियों में बांटने की बात कही गई। लेकिन, फिर की शिकायत है कि उन्हें अनाज नहीं मिला! तो फिर अनाज गया कहाँ?
पूर्व पार्षदों ने डकारा
निगम ने शहर के 85 पूर्व पार्षदों, 6 विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में लोगों को अनाज बांटने के लिए 1500-1500 पैकेट दिए गए। यानी करीब एक लाख 36 हजार पैकेट पूर्व पार्षदों ने बांटे हैं। निगम व जनप्रतिनिधियों ने 4 लाख 36 हजार पैकेट बांटे। आश्चर्य की बात है कि निगम रिकार्ड में वैध मकानों की संख्या सवा चार लाख के आसपास है। इस मान से लगभग सभी घरों में अनाज बांटा गया है।
सामाजिक संस्थाओं का गणित
लॉक डाउन में कोई भूखा नहीं रहे, इसी मंशा से शहर की सामाजिक संस्थाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और रोजाना संस्थाओं द्वारा हजारों पैकेट अनाज के बांटे जा रहे हैं। अब समझ यह नहीं आता कि जब निगम, जनप्रतिनिधि पूरे शहर को अनाज बांटने की बात कह चुके हैं, तो सामाजिक संस्थाओं को अनाज बांटने की जरूरत क्यों महसूस हुई? निगम ने कभी इन्हें अनाज बांटने के लिए इनकार नहीं किया।
पूरे इलाके में बांटा
वार्ड क्रमांक-71 के पूर्व पार्षद भरत पारिख के मुताबिक आदर्श वार्ड में शामिल मेरे क्षेत्र में अधिकांश गरीब तबके को अनाज बांटा गया है। एक हजार से अधिक पैकेट मिले थे। आगे भी मदद करते रहूंगा। वार्ड-27 के पूर्व पार्षद चंदू शिंदे का कहना है कि मेरे वार्ड में कई गरीब बस्तियां हैं। यहां लोगों को जरूरत के मान से अनाज दिया गया। निगम ने 1500 पैकेट दिए थे। सारे बांट दिए गए हैं। जबकि, खाद्य नियंत्रक एल मुजाल्दा के अनुसार निगम को खाद्य विभाग की तरफ से गेहूं, चावल व अन्य सामग्रियों के साढ़े तीन लाख पैकेट दिए गए हैं।
पूर्व पार्षदों ने डकारा
निगम ने शहर के 85 पूर्व पार्षदों, 6 विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में लोगों को अनाज बांटने के लिए 1500-1500 पैकेट दिए गए। यानी करीब एक लाख 36 हजार पैकेट पूर्व पार्षदों ने बांटे हैं। निगम व जनप्रतिनिधियों ने 4 लाख 36 हजार पैकेट बांटे। आश्चर्य की बात है कि निगम रिकार्ड में वैध मकानों की संख्या सवा चार लाख के आसपास है। इस मान से लगभग सभी घरों में अनाज बांटा गया है।
सामाजिक संस्थाओं का गणित
लॉक डाउन में कोई भूखा नहीं रहे, इसी मंशा से शहर की सामाजिक संस्थाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और रोजाना संस्थाओं द्वारा हजारों पैकेट अनाज के बांटे जा रहे हैं। अब समझ यह नहीं आता कि जब निगम, जनप्रतिनिधि पूरे शहर को अनाज बांटने की बात कह चुके हैं, तो सामाजिक संस्थाओं को अनाज बांटने की जरूरत क्यों महसूस हुई? निगम ने कभी इन्हें अनाज बांटने के लिए इनकार नहीं किया।
पूरे इलाके में बांटा
वार्ड क्रमांक-71 के पूर्व पार्षद भरत पारिख के मुताबिक आदर्श वार्ड में शामिल मेरे क्षेत्र में अधिकांश गरीब तबके को अनाज बांटा गया है। एक हजार से अधिक पैकेट मिले थे। आगे भी मदद करते रहूंगा। वार्ड-27 के पूर्व पार्षद चंदू शिंदे का कहना है कि मेरे वार्ड में कई गरीब बस्तियां हैं। यहां लोगों को जरूरत के मान से अनाज दिया गया। निगम ने 1500 पैकेट दिए थे। सारे बांट दिए गए हैं। जबकि, खाद्य नियंत्रक एल मुजाल्दा के अनुसार निगम को खाद्य विभाग की तरफ से गेहूं, चावल व अन्य सामग्रियों के साढ़े तीन लाख पैकेट दिए गए हैं।