इंदौर। शहर में कोरोना इतनी तेजी से बढ़ा है कि अब देश के टॉप-3 शहरी हॉट स्पॉट्स में इंदौर भी है। शहर की बड़ी आबादी इसकी जद में आ सकती है। शहर के खजराना, रानीपुरा, दौलतगंज, आलापुरा, चन्दननगर नगर क्षेत्रो सहित 100 से अधिक क्षेत्रो को कंटेन्मेंट क्षेत्र घोषित किया जा चुका है।
जानकारी के मुताबिक इंदौर में कोरोना से पॉजेटिव मरीजों का आंकड़ा 800 के करीब पहुंचा हैं। वहीं मरने वालों की संख्या भी 47 तक जा पहुंची! हजारों लोग कोरेन्टाइन किए जा चुके है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि देश के सबसे साफ शहर में कोरोना इतनी तेजी से कैसे फैल गया और कैसे उसने इतना भयावह रूप अख्तियार कर लिया है। इस मामले में इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह के मुताबिक शहर में कोरोना का प्रवेश इंदौर के देवी अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट से हुआ है। कलेक्टर इंदौर ने आशंका जताई है कि शहर में जनवरी से लेकर फरवरी माह के बीच बाहर से आए लोगों के जरिए कोरोना का फैलाव हुआ होगा। उन्होंने उस वक्त इंदौर में चल रहे आंदोलनों को भी फैलाव का एक बड़ा कारण माना है। मनीष सिंह ने कलेक्टर के तौर पर उस वक्त इंदौर का जिम्मा संभाला, जब इंदौर ऑड, इवन और क्लोज फार्मूले में उलझा हुआ था और कोरोना तेजी से फैल रहा था। इसके बाद मनीष सिंह के कमान संभालते ही मैदानी अमला सक्रिय हुआ।
कलेक्टर मानते है कि मार्च माह के अंत मे कब्रिस्तानों में शवों के दफनाने की संख्या में इसलिए तेजी आई, क्योंकि फरवरी माह तक इंदौर में कोरोना को लेकर न तो स्क्रीनिंग शुरू हुई थी और न लोगों में जागरुकता थी! वहीं, अन्य बीमारियों से पीड़ित भी शहर के लिए मुश्किल का सबब बनते गए। इधर, कब्रिस्तानों में बढ़ती संख्या पर अंकुश लगने के बाद कलेक्टर को विश्वास है कि प्राकृतिक आपदा को लेकर ज्यादा तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन प्रशासन के अनुमान के मुताबिक और दिल्ली से आई रिपोर्ट के बाद कोरोना पॉजेटिव की संख्या बढ़ना ही थी! लेकिन, अब इंदौर में कोरोना का ग्राफ गिरेगा, क्योंकि प्रशासन ने तय रणनीति के तहत कोरोना के खिलाफ मोर्चाबंदी कर दी है। इसी का परिणाम है शहर के रेड झोन वाले अस्पतालों में पॉजेटिव मरीजों के इलाज के लिये अब 1 हजार से अधिक बेड की वयवस्था है और 3 हजार से ज्यादा लोगो को क्वांरन्टीन किया जा सकता है।
कलेक्टर ने माना कि एयरपोर्ट के जरिए ही शहर में कोरोना फैला है। जनवरी-फरवरी के समय क्या डायरेक्शन थे और क्या कार्रवाई की गई! इस संबंध में अब तक समयाभाव के कारण उन्हें जानकारी नही मिल पाई! उन्होंने साफ किया कि जनवरी-फरवरी माह में बाहर से 5 से 6 हजार लोग आए थे, उनकी स्क्रीनिंग और होम कोरेन्टाइन सख्ती से की जानी थी। वहीं बाहर से हवाई यात्रा कर इंदौर में जो लोग आए थे वो उस समय शहर में चल रहे आंदोलन में भी शामिल हुए थे।
हालांकि, इस मामले को लेकर एयरपोर्ट प्रबंधन पर अब सवाल उठ रहे है। इसका जबाव पाने के लिए हमने एयरपोर्ट डायरेक्टर आर्यमा सान्याल से फोन पर सम्पर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। हालांकि, एयरपोर्ट प्रबंधन अपनी सफाई जरूर देगा! लेकिन वर्तमान कलेक्टर द्वारा जाहिर की गई आशंका और सम्भावना में दम इसलिए भी क्योंकि मार्च माह की शुरुआत में भी इंदौर में कोरोना को लेकर सजगता नही थी लिहाजा एयरपोर्ट प्रबंधन ही बता पाएगा की, उस समय वो कोरोना को लेकर कितनी तैयारी थी और क्या-क्या सतर्कता दो माह पहले से बरती जा रही थी।