भारत की कुंडली में 'विष योग' के कारण समय कष्टदायक!
- अजय शर्मा
आजाद भारत का जन्म 15 अगस्त 1947 को रात्रि 12 बजे दिल्ली में वृषभ लग्न में कर्क राशि में हुआ था। वृषभ लग्न के कारण भारत एक शांतिप्रिय और सबको साथ लेकर चलने वाला मेहनती और आसानी से मित्र बनाने वाला देश बन सका। कई तरह से प्रताड़ना झेलने वाला, अपने जीवन में हमेशा संघर्षशील व हर किसी पर भरोसा करने वाला देश है। ये ग्रहयोग किसी को भी सफल राजनीनितिकार के साथ चतुर स्वभाव वाला बनाता है। ऐसे किसी भी व्यक्ति या स्थान के संघर्ष का समय कष्टदायक होता है। ऐसे में बड़ी समझदारी और सूझबूझ से रास्ता बनाने वाला होता है।
भारत की इस जन्मकुंडली के मुताबिक वर्तमान समय कष्टदायक है। विषयोग के कारन वर्तमान समय कष्टदायक समझा जा सकता है। कोरोना वायरस जैसी आपदा से निजात पाने में भारत को समय लगेगा। वर्तमान समय के बीतने के बाद सबकुछ अच्छा रहेगा या बुरा? भारत विश्व की महाशक्ति बन पाएगा या नहीं?
भारत की जन्मकुंडली के केंद्र में वृषभ लग्न में बृष का राहु व लग्न से सातवें भाव में केतु के मध्य दूसरे भाव में मंगल, तीसरे भाव में सूर्य-बुध-चन्द्र-शुक्र-शनि व छठें भाव में गुरू की उपस्थिति स्पष्ट कालसर्प योग का निर्माण करती है। जन्मकुडंली में राहू और केतू के मध्य जब ये समस्त ग्रह आते हैं, तब इस योग का निर्माण होता है! ये योग 12 भावों में 12 प्रकार के होते है। आजाद भारत की कुडंली में लग्न से सातवें भाव में मध्य इस योग का निर्माण हो रहा है, जिसे ज्योतिष में अनंत कालसर्प योग की संज्ञा दी गई है। इस योग को दुर्भाग्यशाली योग की संज्ञा भी दी जा सकती है। इस योग के कारण अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है! ऐसी स्थिति में जितने भी प्रयास किए जाएं, लेकिन सफलता भी असफलता प्रतीत होने लगती हैं।
भारत की जन्मकुंडली के केंद्र में वृषभ लग्न में बृष का राहु व लग्न से सातवें भाव में केतु के मध्य दूसरे भाव में मंगल, तीसरे भाव में सूर्य-बुध-चन्द्र-शुक्र-शनि व छठें भाव में गुरू की उपस्थिति स्पष्ट कालसर्प योग का निर्माण करती है। जन्मकुडंली में राहू और केतू के मध्य जब ये समस्त ग्रह आते हैं, तब इस योग का निर्माण होता है! ये योग 12 भावों में 12 प्रकार के होते है। आजाद भारत की कुडंली में लग्न से सातवें भाव में मध्य इस योग का निर्माण हो रहा है, जिसे ज्योतिष में अनंत कालसर्प योग की संज्ञा दी गई है। इस योग को दुर्भाग्यशाली योग की संज्ञा भी दी जा सकती है। इस योग के कारण अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है! ऐसी स्थिति में जितने भी प्रयास किए जाएं, लेकिन सफलता भी असफलता प्रतीत होने लगती हैं।
इस योग के कारण देश में भ्रष्टाचार, अराजकता और बेईमानी चरम पर होती है। दोस्त दगा करता है, अविश्वास की भावना पैदा होती है। देश के उच्च पद पर बैठे राजा अथवा उच्च आसान पर बैठे व्यक्तियों के दामन पर भी दाग लगता है। देश की जनता अपने आपको ठगा महसूस करती है। इस योग के कुप्रभाव का ही प्रभाव है कि यहाँ का कोई भी मुखिया अपने दामन को दाग से नहीं बचा पाता! भारत के अधिकांश पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी, राजीव गांधी से लगाकर विश्वनाथप्रताप सिंह सहित अधिकांश नेता इससे अछूते नहीं रहे!
भारत की जन्मकुडंली में 3 भाव में सूर्य-बूध-चंद्र-शुक्र-शनि की एक साथ उपस्थिति पंचग्रही योग का निर्माण कर रहे हैं। ये राजयोग होता है, जिसके कारण भारत रचनात्मक कार्यो में सदा आगे रहेगा! इस योग के कारण ही भारत हमेशा विश्व में अपनी एक विशेष छाप छोड़ता है। दुनिया में भारत की प्रतिभाओं को मिलने वाले सम्मान का कारण ही ये योग है। भारत संघर्ष करता हुआ उन्नति करेगा! लेकिन, उसकी अपनी आंतरिक समस्याओं का निराकरण नहीं होगा। भारत अपने पराक्रम और बुद्धि के बल पर अपने विरोधियों को पराजित करेगा, आर्थिक उन्नति और विकास की और अग्रसर भी रहेगा! परन्तु कालसर्प योग व तीसरे भाव में पंचग्रही योग में शनि के साथ चन्द्र की उपस्थिति से निर्मित विषयोग मार्ग में रोड़े अटकाएगी। ये आजीवन आंतरिक समस्याओं की और इशारा करती है। इस योग के कारण भारत विश्व पटल पर बहुत मजबूती से उभरेगा और सम्मान प्राप्त करेगा! लेकिन, आंतरिक मामलों में वर्ण संघर्ष, वर्ग संघर्ष, भ्रष्टाचार, बेईमानी, अराजकता, स्वास्थ्य समस्या आदि से समस्याग्रस्त रहेगा। मुखिया पर उनके ही सहयोगी दवाब बनाएंगे। स्वतंत्र रूप से कार्य करना काफी कठिन होगा। कुछ समय तो सपने सामर्थ्य के बल पर तनाव काबू करने का प्रयास करेंगे! लेकिन, जून माह में उन्हें अपने ही किसी विश्ववनीय से तनाव मिलेगा। इसलिए वर्तमान समय में भारत की राह आसान नहीं है!
राजनीति
भारत की जन्मपत्रिका में चंद्र की महादशा के कारण देश ज्यादा ताकतवर हुआ और भारतीय जनता पार्टी की अपेक्षा मुखिया पर जनता ने ज्यादा भरोसा जताया! लेकिन, 11 मार्च 2020 से चंद्र की महादशा में शनि की अंतर्दशा विष योग का निर्माण कर रही है! इस कारण कई ताकतवर राजनीतिक शक्तियों को जनता के विरोध का सामना करना पड़ेगा और अधिकांश शक्तियां शून्य प्राय सी हो जाएंगी। देश को वर्ग संघर्ष से लेकर कई प्रकार के संक्रमण का सामना करना होगा।
अर्थ व्यवस्था
आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। देशभर में आर्थिक अराजकता का वातावरण निर्मित होगा। मूथा के द्वादश स्थान पर होने से सरकार का व्यय बढ़ेगा और लाभ की संभावना कम रहेगी। साल 2020 में भारत के विकास में पंचम स्थान के पीड़ित होने से विकास योजनाओं में अड़चनें रहेंगी और कार्य देरी से पूर्ण होंगे। साथ ही नई योजनाएं कम ही प्रभाव होंगी। सोना, चांदी के दाम बढ़ेंगे। ऑटो मोबाइल उद्योग और प्रॉपर्टी के दाम गिरेंगे।
विष योग से निजात नहीं
विष योग से निजात नहीं
वर्तमान में चंद्र की दशा में शनि की अंतर्दशा चल रही है। यह एक विषयोग है। इस योग की दशा 11 दिसंबर 2019 से 10 जुलाई 2021 तक रहेगी। पूरा विश्व इन दिनों महामारी से ग्रस्त है! भारत भी इससे अछूता नही है। वर्तमान समय में भारत की पत्रिका में चन्द्र की दश में शनि की अंतर्दशा विष योग का निर्माण कर रही है। इस कारण देश में महामारी का खतरा बढ़ेगा और काफी प्रयत्न के बाद भी आशातीत सफलता प्राप्त नहीं हो सकेगी। आने वाले दिनों में ये संकट ज्यादा गहरा सकता है। भारत को इस महादशा में अत्यधिक शारीरिक, आर्थिक संकटों के साथ ही अराजक स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता
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(लेखक एडवोकेट तथा ज्योतिष के ज्ञाता, कुंडली विशेषज्ञ हैं)
संपर्क : 98930 66604