इंदौर में इंटर क्रॉपिंग योजना के नाम पर किसानों से खिलवाड़
 इंदौर। किसानों के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा चलाई गई योजना अंतरवर्गीय फसल यानी इंटर क्रॉपिंग योजना के तहत लाखों रुपए का खेल कागजों पर किया गया। इस योजना में किसानों को इंटर क्रॉपिंग फसल बोने के लिए शासन द्वारा किसान को एक हेक्टेयर के लिए गेहूं और चने के बीज दवाई विंडी साइट, जिंक सल्फर बायो माइक्रो यूक्रेन, भंडारण के लिए कोठी दी जाती है। 


  कुल 8 से 9 हजार रुपये तक का अनुदान शासन देती है! पर, अधिकारियों की मिलीभगत से यह वास्तविक किसानों को नहीं मिलती! क्योंकि, अधिकारी व नेता नहीं चाहते हैं कि किसानों का भला हो। इंदौर जिले की चारों ब्लॉक में इंटर क्रॉपिंग की फसल कागज पर बहुत बोई गई, पर किसानों के खेतों में दूर-दूर तक कहीं भी नजर नहीं आती। इस योजना में किसानों को एक हेक्टेयर खेत में दो प्रकार की फसल बोनी रहती है जो 3 या 9 कतारों व उसके साथ बीच में दूसरी फसल की बोवनी की जाती है। लेकिन, ये योजना जिले में कहीं लागू की गई हो और किसानों को उसका लाभ मिला हो, ऐसा नजर नहीं आता!  

   देपालपुर के किसान चंदन सिंह बडवाया ने बताया कि देपालपुर तहसील वा गांव में कहीं पर अंतरवर्गीय फसल दिखाई नहीं देती है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार देपालपुर ब्लॉक में 96 हेक्टेयर में इंटर क्रॉपिंग की फसल बोई गई! वहीं, सांवेर तहसील के किसान अरविंदसिंह राठौर (मुरादपुरा) ने बताया कि हमारे गांव में तो इंटर कॉपिंग की फसल कहीं दिखाई नहीं देती है।  लेकिन,जानकारी अनुसार सांवेर ब्लॉक में 67 हेक्टेयर में बोई गई है। वहीं इंदौर ब्लॉक के किसान गोकुलसिंह पटेल नैनोद गांव बताया कि हमारे आस पास तो इंटर क्रा‌‌पिंग की फसल दिखाई नहीं देती है। पर, 74 हेक्टेयर में इंटर क्रॉपिंग लगाई गई। महू ब्लॉक के किसान सुभाष राठोर ने भी बताया कि ब्लॉक में इंटर क्रापिंग की फसल कहीं दिखाई नहीं देती, लेकिन महू तहसील में 80 हेक्टेयर में इंटर क्रॉपिंग की फसल कागज खूब बोई गई। 

   भारतीय किसान एवं मजदूर सेना के प्रदेश अध्यक्ष बबलू जाधव ने आरोप लगाया कि जब तक इंदौर जिले में विजय चौरसिया उपसंचालक बैठे रहेंगे, तब तक किसानों का शोषण होता रहेगा। क्योंकि, पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त अधिकारी इंदौर में बैठे हैं, तो कहां से किसानों का भला कैसे होगा!  हम पिछले 8 दिनों से जिले में सभी ग्राम सेवक से लगाकर एसडीओ और उपसंचालक तक से बात की पर किसी ने भी हमें जानकारी नहीं दी। सभी अधिकारियों ने हमें कहा कि तुम्हें इस मामले से क्या लेना देना औ