इंदौर रेलवे स्टेशन पर बगैर बिल के
सामग्री न बेचने की योजना फेल
इंदौर। यात्रियों को रेलवे स्टेशनों पर शुद्ध खाद्य सामग्री उचित दाम पर मिल सके, इसके लिए रेलवे प्रशासन ने बिल देने की योजना शुरू की थी। स्टॉल संचालकों को कड़ी हिदायत दी थी कि बिल नहीं देने के एवज में उनका ठेका निरस्त किया जा सकता है। लेकिन, ये योजना कारगर नहीं हुई!
स्टेशन पर यात्रियों को कई बार भोजन, नाश्ता व अन्य खाद्य सामग्री बेचने वाले स्टाल संचालक महंगे दामों पर सामान बेचते हैं। कई बार सामग्री अमानक स्तर की निकलती है। ऐसे में शिकायत करना मुश्किल हो जाता है। कई बार अमानक खाद्य पदार्थ के सेवन से यात्री के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ जाता है। पिछले दिनों राज्य शासन ने मिलावटी व दूषित खाद्य पदार्थ बेचने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाए, इसे देखते हुए रेलवे ने भी स्टाल संचालकों को कड़ी हिदायत दी कि वे यात्रियों को खरीदे गए सामान का बिल दें। बिल में एक्सपायरी तिथि का उल्लेख किया जाना आवश्यक है। इंदौर रेलवे स्टेशन पर 12 के आसपास स्टाल है, जो सुबह से देररात तक पानी बॉटल, बच्चों के फास्ट फूड, जंक फूड व अन्य सामग्री बेचते हैं।
रेलवे स्टेशन पर स्टाल संचालक खरीदी गई वस्तुओं का बिल देंगे, ऐसी जानकारी यात्रियों को नहीं है। हालांकि, रेलवे प्रशासन ने इस संबंध में नोटिस बोर्ड भी लगाए हैं। इसके बावजूद स्टाल संचालक बिल देने में कोताही बरत रहे। कई बार यात्री जल्दबाजी में खुद भी खरीदी गई वस्तुओं का बिल नहीं मांगता, जिसका सीधा फायदा स्टाल वाले उठाते हैं। अधिकांश यात्री स्टॉल से पानी बॉटल, पानी पाउच, नाश्ता, बच्चों के फूड लेता है, जिनकी कीमत अपेक्षाकृत कम होती है। इसलिए वह बिल के चक्कर में नहीं पड़ता। वहीं, बिल को लेकर यात्रियों ने जागरूकता का भी अभाव बना हुआ है।
छोटे स्टेशनों पर अनदेखी
इंदौर शहर में रेलवे के चार स्टेशन हैं, इसमें सैफी नगर, नेमीनगर, राजेन्द्र नगर और लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन है। राजेन्द्र नगर पर स्टॉल नहीं है, जबकि यात्रियों का यहां भी अत्यधिक दबाव रहता है। लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन पर आसपास के रहवासी खाद्य सामग्री, पेय पदार्थ बेचते हैं, जिनके पास बिल नहीं होता। एक स्टाल भी संचालित होता है। इस पर रेलवे की नजर कम जाने से वह महंगे दाम पर सामग्री बेचता है और बिल नहीं देता है।
स्टेशन पर नाश्ता, भोजन आदि के लिए मुख्य गेट पर होटल भी संचालित होती है। यहां भी यात्री व उनके साथ आए अटेंडर को खरीदी गई सामग्री का बिल नहीं दिया जाता। जागरूक यात्री के बिल मांगने पर उसे यह कहकर टकरा दिया जाता है कि बिल बुक खत्म हो गई है या छोटी राशि का सामान लेने पर बिल दिया तो टैक्स ज्यादा चुकाना पड़ेगा। इसके बाद यात्री सामान लेकर रवाना हो जाता है।
पश्चिम रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी जितेंद्र कुमार जयंत के मुताबिक स्टॉल संचालकों को बिल देने के कड़े निर्देश हैं। अभी तक किसी यात्री ने बिल संबंधी किसी प्रकार की शिकायत नहीं की है। फिर भी मामला संज्ञान में आया है तो स्टाल संचालकों से कहा जाएगा कि वे हर हाल में छोटी राशि का बिल भी यात्री को दे।
रेलवे स्टेशन पर स्टाल संचालक खरीदी गई वस्तुओं का बिल देंगे, ऐसी जानकारी यात्रियों को नहीं है। हालांकि, रेलवे प्रशासन ने इस संबंध में नोटिस बोर्ड भी लगाए हैं। इसके बावजूद स्टाल संचालक बिल देने में कोताही बरत रहे। कई बार यात्री जल्दबाजी में खुद भी खरीदी गई वस्तुओं का बिल नहीं मांगता, जिसका सीधा फायदा स्टाल वाले उठाते हैं। अधिकांश यात्री स्टॉल से पानी बॉटल, पानी पाउच, नाश्ता, बच्चों के फूड लेता है, जिनकी कीमत अपेक्षाकृत कम होती है। इसलिए वह बिल के चक्कर में नहीं पड़ता। वहीं, बिल को लेकर यात्रियों ने जागरूकता का भी अभाव बना हुआ है।
छोटे स्टेशनों पर अनदेखी
इंदौर शहर में रेलवे के चार स्टेशन हैं, इसमें सैफी नगर, नेमीनगर, राजेन्द्र नगर और लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन है। राजेन्द्र नगर पर स्टॉल नहीं है, जबकि यात्रियों का यहां भी अत्यधिक दबाव रहता है। लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन पर आसपास के रहवासी खाद्य सामग्री, पेय पदार्थ बेचते हैं, जिनके पास बिल नहीं होता। एक स्टाल भी संचालित होता है। इस पर रेलवे की नजर कम जाने से वह महंगे दाम पर सामग्री बेचता है और बिल नहीं देता है।
स्टेशन पर नाश्ता, भोजन आदि के लिए मुख्य गेट पर होटल भी संचालित होती है। यहां भी यात्री व उनके साथ आए अटेंडर को खरीदी गई सामग्री का बिल नहीं दिया जाता। जागरूक यात्री के बिल मांगने पर उसे यह कहकर टकरा दिया जाता है कि बिल बुक खत्म हो गई है या छोटी राशि का सामान लेने पर बिल दिया तो टैक्स ज्यादा चुकाना पड़ेगा। इसके बाद यात्री सामान लेकर रवाना हो जाता है।
पश्चिम रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी जितेंद्र कुमार जयंत के मुताबिक स्टॉल संचालकों को बिल देने के कड़े निर्देश हैं। अभी तक किसी यात्री ने बिल संबंधी किसी प्रकार की शिकायत नहीं की है। फिर भी मामला संज्ञान में आया है तो स्टाल संचालकों से कहा जाएगा कि वे हर हाल में छोटी राशि का बिल भी यात्री को दे।