डिस्प्ले बोर्ड नहीं लगा तो मौसम का पता कैसे चलेगा!     
डिस्प्ले बोर्ड नहीं लगा तो मौसम का पता कैसे चलेगा!     

इंदौर। लोगों को शहर में डीआईजी ऑफिस के आसपास हवा में मौजूद धूल, कण और मौसम का हाल रियल टाइम में नहीं मिल रहा है। इसका कारण है कि यहाँ डिस्प्ले बोर्ड नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यहां रेलवे स्टेशन पर शुरु कर दिया, लेकिन इसका डाटा सार्वजनिक करने की सुविधा नहीं जुटाई है। नतीजतन, स्टेशन पर मापे गए मौसम की जानकारी नहीं मिल रही। 
 बोर्ड ने रीगल तिराहे के पास आरएनटी मार्ग के डिवाइडर पर जून में डिस्प्ले बोर्ड लगाने और योजना बनाई थी। दावा था कि इससे यहां लोगों को एलईडी स्क्रीन पर हवा की गुणवत्ता के साथ मौसम का मिजाज पता चल सकेगा। इसमें पीएम (पार्टिक्लूयर मेटर्स)-10, पीएम -2.5, 502 और सीओ का पता लगेगा। अमोनिया और ओजोन के साथ बैंजीन के आंकड़े भी सामने आ सकेंगे। अफसरों का कहना है कि बोर्ड शुरू नहीं होने से ये आंकड़े सामने न हीं आ रहे हैं। डिस्प्ले बोर्ड शुरू करने के लिए इंटरनेट कनेक्शन चाहिए। बोर्ड को डिवाइडर के लिए नया कनेक्शन चाहिए। कनेक्शन के लिए कई बार संचार कंपनियों को आवेदन किया, मगर अभी तक कनेक्शन को लेकर किसी प्रकार की सहमति संचार कंपनियों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नहीं दी। 
सालों से खा रहा धूल
  रीगल चौराहों पर इसे पांच साल पहले लगाया गया था। कुछ दिन चलने के बाद बोर्ड ने सेवाएं देना बंद कर दी। इसके बाद लगातार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड संचार कंपनियों से इंटरनेट कनेक्शन की मांग कर रहा है, हर बार तकनीकी परेशानियों का हवाला देकर कनेक्शन देने में असमर्थता जताई जाती है। जिसके चलते सालों से बोर्ड रीगल चौराहे पर धूल खा रहा है। 
एयरपोर्ट पर निर्भर
  वर्तमान में मौसम, पर्यावरण संबंधी सारी जानकारी के लिए आमजन व अन्य लोगों को एयरपोर्ट स्थित मौसम विभाग के कार्यालय पर निर्भर रहना पड़ता है। मौसम विभाग अधिकांशत: बारिश व मौसम की आद्र्रता, उष्णता की ही जानकारी सार्वजनिक करता है। हवा के कण, धूल आदि की जानकारी नहीं मिल पाती। यही कारण है कि शहर की आबोहवा दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। 
दो स्थानों पर जानकारी
  वर्षों पहले शहरवासियों को मिलों की सीटी से समय की जानकारी मिल पाती थी। होलकर वंश के दौरान गांधीहॉल, रेलवे स्टेशन पर रियल टाइम दर्शाने के लिए बड़ी घडिय़ां लगाई गई थी। रेलवे व स्थानीय प्रशासन को घडिय़ों के रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी थी। दोनों विभागों की निष्क्रियता के चलते कई बार यह घडिय़ां खराब रहती है। कई बार चालू रहने पर भी गलत टाइम बताती है।
डिस्प्ले की औपचारिकता
   वर्तमान में संचार क्रांति ने तेजी से पैर पसारे हैं। मोबाइल डिवाइस में मौसम, टाइमिंग, पर्यावरण, प्रदूषण सहित सभी जानकारी एक क्लिक में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इसके लिए मोबाइल में ऐप डालना पड़ता है। इसके चलते प्रदूषण निवारण बोर्ड के डिस्प्ले बोर्ड लगाने की योजना मात्र औपचारिकता बनकर रह गई है।