'आईडीए' ने 300 करोड़ के बहुमंजिला  इमारत प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाला 
'आईडीए' ने 300 करोड़ के बहुमंजिला 

इमारत प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाला

  इंदौर। इंदौर विकास प्राधिकरण संचालक मंडल ने संचालक मंडल की बैठक में प्राधिकरण की वित्तीय सेहत बिगाडऩे वाले एक प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया। प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ कुमार पुरुषोत्तम ने करोड़ों रुपए के खेल के चक्कर में प्राधिकरण को डेढ़ हजार करोड़ रुपए का कर्जा दिलाकर 300 करोड़ रुपए की एक बहुमंजिला इमारत तानने की योजना बनाई थी। 

   इस मामले में तत्कालीन प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल ने कुमार पुरुषोत्तम के कंधे पर अपना हाथ रखा हुआ था। इंदौर विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ कुमार पुरुषोत्तम ने शिवराज सरकार के खास प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल के साथ मिलकर सुपर कॉरिडोर पर टीसीएस के समीप प्लॉट नंबर 25 पर आवासीय सह व्यावसायिक बहुमंजिला भवन निर्माण का कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया था। प्रमुख सचिव अग्रवाल ने 15 जनवरी की एक बैठक में भोपाल से इस खेल की व्यूह रचना रची थी। करीब 300 करोड़ रुपए के इस प्रस्ताव के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भी कब्जे में ले लिया गया था। भोपाल से हरी झंडी मिलने के बाद सीईओ कुमार पुरुषोत्तम ने इस मामले में प्राधिकरण के तत्कालीन अध्यक्ष शंकर लालवानी को घेरना चाहा, लेकिन प्राधिकरण की वित्तीय स्थिति का हवाला देकर वह इस खेल से बच निकले। इस बीच प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और निजाम बदल गया। कुमार पुरुषोत्तम ने लालवानी के स्थान पर अध्यक्ष बने तत्कालीन संभाग आयुक्त राघवेंद्र कुमार सिंह को संगनमत करते हुए बोर्ड बैठक में 300 करोड़ रुपए के इस प्रस्ताव को चटपट स्वीकृति देने का खेल रच लिया। ऐनवक्त पर इस संवाददाता के हाथ अहम दस्तावेज लगे, जिससे सिद्ध हुआ कि शहरहित को बला-ए-ताक' रखकर कुमार पुरुषोत्तम अपना हित साधना चाहते हैं। सही वक्त पर यह मामला मुख्यमंत्री कमलनाथ और विभागीय मंत्री जयवर्धन सिंह के संज्ञान में आया। दस्तावेजों से यह सिद्ध हो गया कि आखिर नए संचालक मंडल की अनुपस्थिति में कुमार पुरुषोत्तम क्यों 300 करोड़ रुपए का भार प्राधिकरण पर डालना चाहते थे। माजरा साफ था, इस मामले में विवेक अग्रवाल और कुमार पुरुषोत्तम की जोड़ी ने बिल्डिंग बनाने वाले कांट्रेक्टर से बड़ा सौदा कर लिया था। इन्हें उम्मीद थी कि चुनाव से पहले इस प्रस्ताव को मंजूर करा लेंगे, लेकिन लालवानी ने इनके मंसूबे पूरे नहीं होने दिए। गुरुवार को संचालक मंडल की बैठक मेंं संभाग आयुक्त आकाश त्रिपाठी, सीईओ विवेक श्रोत्रिय सहित अन्य सदस्यों ने इस भारी भरकम प्रस्ताव को प्राधिकरण के हित में नहीं मानते हुए इससे संबंधित निविदाएं निरस्त कर दी। बैठक में कहा गया कि इतनी बड़ी धनराशि से शहर में फ्लायओवर सहित जरूरत के कई प्रोजेक्ट पूर्ण कर लिए जाएंगे।
कर्ज में डुबोना चाहते थे आईडीए को
  सीईओ कुमार पुरुषोत्तम ने 300 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दिलाने के लिए 1500 करोड़ रुपए का लोन लेने का षड्यंत्र भी रचा था। कहा गया कि प्राधिकरण की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है, इसलिए वित्तीय संसाधन जुटाने होंगे। बताते हैं कि अग्रवाल और कुमार की जोड़ी किसी भी हद तक जाकर इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दिलाना चाहती थी। शिवराज सरकार कुमार पुरुषोत्तम पर इस कदर मेहरबान थी कि उन्हें इंविप्रा और एकेवीएन दोनों जगह का प्रमुख बना रखा था। यह मामला उजागर होने के बाद विभागीय मंत्री जयवर्धन सिंह ने उन्हें तत्काल इंविप्रा से विदा किया। बताते हैं कि इंविप्रा से हटने के बाद भी कुमार पुरुषोत्तम इस प्रयास में लगे थे कि किसी भी सूरत में आकाश त्रिपाठी की अगुवाई वाला संचालक मंडल इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दें, लेकिन उनका यह पैतरा काम नहीं आया।