सभी पंचायतों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगेंगे
इंदौर। शहर की तर्ज पर अब गांवों में भी ग्राम पंचायतों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। सिस्टम लगने से बारिश का पानी संग्रहित हो सकेगा। पंचायतों तथा वहां निर्मित होने वाले नई आवासीय भवनों में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा।
इंदौर। शहर की तर्ज पर अब गांवों में भी ग्राम पंचायतों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। सिस्टम लगने से बारिश का पानी संग्रहित हो सकेगा। पंचायतों तथा वहां निर्मित होने वाले नई आवासीय भवनों में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा।
जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी नेहा मीणा ने पंचायतों के अंतर्गत आने वाले गांवों में कई बार पानी संकट के आसार बन जाते हैं। गर्मी की भयावहता पर पानी की दरकार अधिक होती है। गांवों में पानी की उपलब्धता के लिए कई जलस्रोत हैं, इसके बावजूद पानी के लिए लोगों को भटकते हुए देखा है। गांव में नर्मदा का कम और बोरिंग का पानी अधिक सप्लाय होता है। ग्रामीण कुओं, तालाबों का पानी भी उपयोग करते हैं। इसके बावजूद स्थिति में सुधार नहीं आ पाता। शहर की तरह गांवों में भी आबादी बढ़ रही है। पानी की उपयोगिता भी इसी तरह बढऩे लगी है, जो आने वाले दिनों में खतरे का संकेत दे रही है। ऐसे में अभी से सजग नहीं हुए तो आने वाले दिनों में स्थिति बेकाबू हो इसके पहले ही पानी बचाने पर जोर देना आवश्यक है।
पंचायतों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में आने वाला खर्च जिला प्रशासन व शासन वहन करेगा। सिस्टम लगाने से पहले पंचायतों की छतों की मरम्मत का सिलसिला शुरू होगा, ताकि सिस्टम आसानी से लगाए जा सकें। वहीं,रहवासी क्षेत्र में आकार लेने वाले नए भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का शुल्क लगेगा। यह शुल्क कितना वसूला जाएगा, इसके लेकर अभी मंथन चल रहा है। शुल्क उसी भवन मालिक से लिया जाएगा, जो अपने पुराने मकान में सिस्टम लगाएगा।
पहले दौर में सर्वे
जिले की पांच तहसीलों इंदौर, हातोद, देपालपुर, सांवेर और महू में लगभग 600 के आसपास ग्राम पंचायतें हैं। अधिकांश पंचायतें किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में इन पंचायत भवनों में शासकीय खर्च से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाना संभव नहीं है। लेकिन, जो शासकीय भवन में पंचायत कार्यालय है ,उसका सर्वे शुरू किया गया है। कई पंचायत कार्यालय छोटे तो कई बड़े कक्ष में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की साइज भी अलग-अलग होगी। यानि, छतों के आकार को आधार बनाकर ही सिस्टम लगाया जाएगा। सिस्टम लगाने का काम सर्वे खत्म होने के तत्काल बाद शुरू कर दिया जाएगा। सर्वे के लिए पंचायत समन्वयक, पंचायत सचिव, राजस्व निरीक्षक को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
पंचायतों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में आने वाला खर्च जिला प्रशासन व शासन वहन करेगा। सिस्टम लगाने से पहले पंचायतों की छतों की मरम्मत का सिलसिला शुरू होगा, ताकि सिस्टम आसानी से लगाए जा सकें। वहीं,रहवासी क्षेत्र में आकार लेने वाले नए भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का शुल्क लगेगा। यह शुल्क कितना वसूला जाएगा, इसके लेकर अभी मंथन चल रहा है। शुल्क उसी भवन मालिक से लिया जाएगा, जो अपने पुराने मकान में सिस्टम लगाएगा।
पहले दौर में सर्वे
जिले की पांच तहसीलों इंदौर, हातोद, देपालपुर, सांवेर और महू में लगभग 600 के आसपास ग्राम पंचायतें हैं। अधिकांश पंचायतें किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में इन पंचायत भवनों में शासकीय खर्च से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाना संभव नहीं है। लेकिन, जो शासकीय भवन में पंचायत कार्यालय है ,उसका सर्वे शुरू किया गया है। कई पंचायत कार्यालय छोटे तो कई बड़े कक्ष में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की साइज भी अलग-अलग होगी। यानि, छतों के आकार को आधार बनाकर ही सिस्टम लगाया जाएगा। सिस्टम लगाने का काम सर्वे खत्म होने के तत्काल बाद शुरू कर दिया जाएगा। सर्वे के लिए पंचायत समन्वयक, पंचायत सचिव, राजस्व निरीक्षक को नोडल अधिकारी बनाया गया है।