रोबोट सिग्नल ख़राब, एक महीने से बंद पड़ा!
इंदौर। शहर के बेहतर यातायात के लिए शुरू किया गया अत्याधुनिक रोबोट सिगनल एक माह से बंद पड़ा है। इससे यातायात का कचूमर निकल रहा है। इसे पुन: चालू कराने को लेकर निगम और ट्रैफिक पुलिस एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही है, जिसका खामियाजा वाहन चालकों को भुगतना पड़ रहा है।
शहर के एक निजी कॉलेज ने बेहतर यातायात प्रबंधन की मंशा से 11 लाख 50 हजार रुपए की लागत से एक रोबोट तैयार कर उसे ट्रैफिक पुलिस को सौंपा था। ट्रैफिक पुलिस ने निगम से सिग्नल लगाने को कहा था। निगम ने एमआर 9 बर्फानीधाम चौराहा पर रोबोट सिग्नल लगा दिया। दो-तीन दिन में रोबोट सिग्नल से यातायात व्यवस्था सुचारू संचालित होने लगी। यातायात नियमों का तोडऩे वालों के चालान की प्रति व फोटो भी स्पष्ट आने लगे। लेकिन, अचानक रोबोट ने सेवाएं देना बंद कर दिया। नतीजा यह हुआ कि रोबोट सिग्नल से कुछ दिन बाद वहां से निकालकर ट्रैफिक पुलिस कार्यालय में रखना पड़ा। एक माह से यह सिग्नल धूल खा रहा है। न तो ट्रैफिक पुलिस और न निगम ने बंद रोबोट सिग्नल को फिर लगाने की सुध ली। इस चौराहे पर यातायात का अत्यधिक दबाव बना रहता है। इस दबाव को कम करने के लिए रोबोट सिग्नल लगाया गया था। उधर, कॉलेज प्रबंधन ने इस रोबोट के सफल प्रयोग के बाद कोशिश की थी कि वह शहर के अन्य प्रमुख चौराहों पर भी आधुनिक रोबोट लगाएगी, ताकि ट्रैफिक में अव्वलता हांसिल हो सके। ट्रैफिक पुलिस का दबाव भी कम हो और वह बेहतर तरीके से दूसरे काम कर सके।
योजना पर पलीता
ट्रैफिक पुलिस ने भी इस रोबोट सिग्नल की तारीफ की थी। इसके बाद मुख्यालय को प्रस्ताव बनाकर भेजा था कि 65 चौराहों पर सिग्नल इसी तरह से लगाए जाना है। प्रस्ताव को शासन ने हरी झंडी भी दे दी, लेकिन निगम की अनदेखी व कॉलेज प्रबंधन के पीछे हटने से प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा।
शहर के एक निजी कॉलेज ने बेहतर यातायात प्रबंधन की मंशा से 11 लाख 50 हजार रुपए की लागत से एक रोबोट तैयार कर उसे ट्रैफिक पुलिस को सौंपा था। ट्रैफिक पुलिस ने निगम से सिग्नल लगाने को कहा था। निगम ने एमआर 9 बर्फानीधाम चौराहा पर रोबोट सिग्नल लगा दिया। दो-तीन दिन में रोबोट सिग्नल से यातायात व्यवस्था सुचारू संचालित होने लगी। यातायात नियमों का तोडऩे वालों के चालान की प्रति व फोटो भी स्पष्ट आने लगे। लेकिन, अचानक रोबोट ने सेवाएं देना बंद कर दिया। नतीजा यह हुआ कि रोबोट सिग्नल से कुछ दिन बाद वहां से निकालकर ट्रैफिक पुलिस कार्यालय में रखना पड़ा। एक माह से यह सिग्नल धूल खा रहा है। न तो ट्रैफिक पुलिस और न निगम ने बंद रोबोट सिग्नल को फिर लगाने की सुध ली। इस चौराहे पर यातायात का अत्यधिक दबाव बना रहता है। इस दबाव को कम करने के लिए रोबोट सिग्नल लगाया गया था। उधर, कॉलेज प्रबंधन ने इस रोबोट के सफल प्रयोग के बाद कोशिश की थी कि वह शहर के अन्य प्रमुख चौराहों पर भी आधुनिक रोबोट लगाएगी, ताकि ट्रैफिक में अव्वलता हांसिल हो सके। ट्रैफिक पुलिस का दबाव भी कम हो और वह बेहतर तरीके से दूसरे काम कर सके।
योजना पर पलीता
ट्रैफिक पुलिस ने भी इस रोबोट सिग्नल की तारीफ की थी। इसके बाद मुख्यालय को प्रस्ताव बनाकर भेजा था कि 65 चौराहों पर सिग्नल इसी तरह से लगाए जाना है। प्रस्ताव को शासन ने हरी झंडी भी दे दी, लेकिन निगम की अनदेखी व कॉलेज प्रबंधन के पीछे हटने से प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा।