नगर निगम ने उलझाया नक्शा, प्लॉट
खरीदने वाला आवेदक परेशान हुआ!
- रजिस्ट्री व साइड प्लान में सड़क की गलत जानकारी होना बताया गया
- रजिस्ट्री व साइड प्लान में सड़क की गलत जानकारी होना बताया गया
इंदौर। इंदौर विकास प्राधिकरण की एक स्कीम में आवेदक ने प्लॉट खरीदा था। प्लॉट के साइड प्लान में सड़क 9 मीटर दर्शाई गई है, जबकि रजिस्ट्री 10 मीटर सड़क की हो गई। ऐसे में अब प्लॉट पर मकान बनाने के लिए नक्शा तैयार नहीं हो रहा है। दोनों विभागों के पेंच में आवेदक फंसकर रह गया है।
जानकारी के मुताबिक, आईडीए की स्कीम नंबर 136 में एक आवेदक ने 2017 में दो प्लॉट खरीदे थे। प्लॉट की राशि किश्तों में वर्ष 2019 के मार्च माह में चुकता कर दी गई। राशि चुकाने के बाद आवेदक ने आईडीए से एनओसी लेकर रजिस्ट्रार कार्यालय में आवेदन देकर उक्त प्लॉट की रजिस्ट्री करा ली। गफलत में रजिस्ट्री में 10 मीटर की सड़क का उल्लेख हो गया। प्रारंभिक तौर पर आवेदक ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। परिणाम स्वरूप जब आवेदक ने निगम के नक्शा विभाग में आवेदन दिया तो वहां से इसे निरस्त कर दिया गया। निरस्ती का कारण रजिस्ट्री व साइड प्लान में सड़क की गलत जानकारी होना बताया।
3000 रुपए में होगा सुधार
इस मामले में जब आवेदक ने इंदौर विकास प्राधिकरण के संपदा अधिकारी के सामने सारी स्थिति रखी तो उन्होंने कहा कि रजिस्ट्री में सुधार कराने पर काफी पैसा खर्च हो जाएगा। वहीं सुधार कार्य कराना काफी पैचीदगी भरा है। ऐसे में आईडीए के साइड प्लान में सुधार आसानी से हो जाएगा। सुधार के लिए आवेदक को आवेदन के साथ साइड प्लान के दस्तावेज लगाना होंगे। इसके बाद सिटी इंजीनियर 3 हजार रुपए की फीस लेकर एक सप्ताह में विभाग को जांच रिपोर्ट सौंपेंगे। जांच रिपोर्ट के बाद नए सिरे से साइड प्लान के कागज आवेदक को मिलेंगे।
अब तक 10 आवेदन
यह समझ से परे है कि जब साइड प्लान में 9 मीटर सड़क का उल्लेख है तो क्या कारण रहा कि रजिस्ट्रार कार्यालय ने गलत सड़क का उल्लेख रजिस्ट्री में कर दिया। जिसका खामियाजा आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है। अब तक इस स्कीम के 10 से अधिक आवेदक त्रुटि सुधार के आ चुके हैं। इंदौर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विवेक श्रोत्रिय के मुताबिक स्कीम के सभी प्लॉटों का साइड प्लान एक समान है। प्लान के मुताबिक ही सड़क के लिए जगह छोड़ दी गई है। प्लाटधारक द्वारा रजिस्ट्री में गलती से अधिक सड़क के लिए जगह छुड़वा दी गई है। इसमें प्राधिकरण की कोई गलती नहीं है। फिर भी हम आवेदक के दस्तावेजों में सुधार करवा रहे हैं। जबकि, पंजीयक बालकृष्ण मोरे ने बताया कि प्राधिकरण ने स्कीम के लिए सम्पूर्ण क्षेत्रफल के लिए 10 मीटर सड़क प्रस्तावित की है। हम कई रजिस्ट्रियां 10 मीटर के मान से कर चुके हैं। अब हमारी गलती बताई जा रही है। आवेदक को रजिस्ट्री में सुधार कराना काफी महंगा पड़ता है। बेहतर है वे प्राधिकरण से सुधार करा ले।
3000 रुपए में होगा सुधार
इस मामले में जब आवेदक ने इंदौर विकास प्राधिकरण के संपदा अधिकारी के सामने सारी स्थिति रखी तो उन्होंने कहा कि रजिस्ट्री में सुधार कराने पर काफी पैसा खर्च हो जाएगा। वहीं सुधार कार्य कराना काफी पैचीदगी भरा है। ऐसे में आईडीए के साइड प्लान में सुधार आसानी से हो जाएगा। सुधार के लिए आवेदक को आवेदन के साथ साइड प्लान के दस्तावेज लगाना होंगे। इसके बाद सिटी इंजीनियर 3 हजार रुपए की फीस लेकर एक सप्ताह में विभाग को जांच रिपोर्ट सौंपेंगे। जांच रिपोर्ट के बाद नए सिरे से साइड प्लान के कागज आवेदक को मिलेंगे।
अब तक 10 आवेदन
यह समझ से परे है कि जब साइड प्लान में 9 मीटर सड़क का उल्लेख है तो क्या कारण रहा कि रजिस्ट्रार कार्यालय ने गलत सड़क का उल्लेख रजिस्ट्री में कर दिया। जिसका खामियाजा आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है। अब तक इस स्कीम के 10 से अधिक आवेदक त्रुटि सुधार के आ चुके हैं। इंदौर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विवेक श्रोत्रिय के मुताबिक स्कीम के सभी प्लॉटों का साइड प्लान एक समान है। प्लान के मुताबिक ही सड़क के लिए जगह छोड़ दी गई है। प्लाटधारक द्वारा रजिस्ट्री में गलती से अधिक सड़क के लिए जगह छुड़वा दी गई है। इसमें प्राधिकरण की कोई गलती नहीं है। फिर भी हम आवेदक के दस्तावेजों में सुधार करवा रहे हैं। जबकि, पंजीयक बालकृष्ण मोरे ने बताया कि प्राधिकरण ने स्कीम के लिए सम्पूर्ण क्षेत्रफल के लिए 10 मीटर सड़क प्रस्तावित की है। हम कई रजिस्ट्रियां 10 मीटर के मान से कर चुके हैं। अब हमारी गलती बताई जा रही है। आवेदक को रजिस्ट्री में सुधार कराना काफी महंगा पड़ता है। बेहतर है वे प्राधिकरण से सुधार करा ले।