कुपोषण के नाम पर नौटंकी, महिला  बाल विकास विभाग गांव में सक्रिय! 
कुपोषण के नाम पर नौटंकी, महिला 

बाल विकास विभाग गांव में सक्रिय!

  इंदौर। शहर व गांव को कुपोषण से मुक्त कराने महिला बाल विकास विभाग कागजों पर तेजी से काम कर रहा है। धरातल पर अभी भी स्थिति यथावत बनी हुई है। शहर को छोड़ महिला बाल विकास विभाग का अमला गांव में पहुंच गया। जहां पोषण आहार सप्ताह मनाया जा रहा है। इस सप्ताह के माध्यम से महिलाओं व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पोषण आहार के संंबंध में जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। 
    शहर की कई निचली बस्तियों में कुपोषित बच्चे हैं। लेकिन, इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा! आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएं गंभीरता से अपने-अपने क्षेत्रों में काम करे तो कुपोषित बच्चों का बड़ा आंकड़ा सामने आ सकता है। लेकिन, कार्यकर्ताएं व सहायिकाएं आंगनवाडिय़ों में औपचारिकता निभाते नजर आती है। कई कार्यकर्ताएं आंगनवाड़ी में खुद के बच्चे को लेकर आती है। वहीं घरेलू कामकाज का निपटारा भी आंगनवाड़ी से हो जाता है। कुछ आंगनवाडिय़ां कार्यकर्ताओं के घर के सामने होने से वे आधा समय तो घर पर देती है और आधा समय आंगनवाड़ी में देकर कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है। यही कारण है कि उन्हें अपने क्षेत्र के कुपोषित बच्चे नजर नहीं आते। यदाकदा क्षेत्र के भ्रमण करने पर बच्चे सामने आते हैं तो पालकों पर अनदेखी का ठिकरा फोड़ देते हैं। 
देपालपुर के बाद महू
  पिछले सप्ताह महिला एवं बाल विकास विभाग ने कुपोषित बच्चों की जानकारी लेने देपालपुर का एक दिनी दौरा किया। वहां बच्चे कुपोषित नहीं मिले। कल बुधवार को अमला महू तहसील के एक गांव में पहुंच गया। यहां तीन चार घंटे बीताने के बाद लौट आया। यहां भी कोई कुपोषित बच्चा नहीं मिला। सूत्रों ने बताया कि जब महिला एवं बाल विकास विभाग को कुपोषित बच्चे नजर नहीं आते तो पोषण आहार सप्ताह मनाने की नौटंकी क्यों की जाती है। सप्ताह मनाने के पीछे सुर्खियां बटोरने की कोशिश ज्यादा की जाती है।