कैदियों के इलाज में लापरवाही वक्त पर नहीं पहुंचते एमवाय!   

कैदियों के इलाज में लापरवाही

वक्त पर नहीं पहुंचते एमवाय! 

इंदौर। जिला जेल में बीमार कैदियों की हालत खराब होती जा रही है। जेल में मरीजों के लिए एक ही डॉक्टर उपलब्ध है जो कि आजाद नगर सिविल डिस्पेंसरी भी संभालते हैं। इसी के साथ दूसरे भी कई सरकारी कामों की जिम्मेदारी इन्हीं पर है।

  यहां पदस्थ डॉ. आरएस बोध ने बताया कि कैदियों की संख्या अधिक है, जिसे देखते हुए डॉक्टरों की कमी है। हम सिविल डिस्पेंसरी के बाद जिला जेल के मरीजों को देखते हैं और गंभीर मरीजों को एमवाय रैफर कर देते हैं,लेकिन डीआरपी लाइन से सुरक्षा गार्ड न मिलने की वजह से मरीज कई दिनों तक एमवाय नहीं पहुंच पाते हैं, जिस वजह से उनकी बीमारी बढ़ती चली जाती है और अंत में मरीजों की जान पर बन आती है। उस वक्त जेल प्रशासन उन्हें अपने रिस्क पर अपने जवानों के साथ एमवाय पहुंचाते हैं। सूत्रों की मानें तो डॉक्टरों की कमी के साथ-साथ जिला जेल में नर्स की भी तीन पोस्ट है जिसमें से सिर्फ दो ही पोस्ट पर कर्मचारी कार्यरत हैं। एक पोस्ट काफी समय से खाली है। इसी के साथ-साथ  पैरामेडिकल स्टाफ की भी जरूरत होती है जिसे लेकर भी आला अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं जेल प्रशासन का कहना है कि हमें डीआरपी लाइन से पर्याप्त फोर्स नहीं मिल पाता, जिसके अभाव में हम कई कई दिन मरीजों को एमवाय नहीं पहुंचा पाते। इस बात की जानकारी हमने कई बार आला अधिकारियों को दी है, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। 

  डीआरपी लाइन से सुरक्षा गार्ड बड़ी मुश्किल से मिल पाते हैं और जब यह आते हैं तो काफी देर हो चुकी होती है। अक्सर जिला जेल से बीमार मरीज डीआरपी लाइन के सुरक्षा गार्डों के साथ 12 बजे बाद ही आ पाते हैं जिस वक्त ज्यादातर सीनियर डॉक्टर उठ जाते हैं और सभी मरीजों को जूनियर के भरोसे छोड़कर चले जाते हैं जिस पर जूनियर डॉक्टर मरीजों की इन्वेस्टिगेशन लिखते हैं लेकिन लेट आने की वजह से इन्वेस्टिगेशन ही पूरी नहीं हो पाती। डॉक्टर को दिखाना और इलाज शुरू होना तो बहुत दूर की बात है और फिर दूसरी बार एमवाय पहुंचाने के लिए फिर से डीआरपी लाइन से  सुरक्षा गार्डों की दरकार रहती है जो कि बड़ी मुश्किल से मिल पाते हैं, जिससे मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता है।