चित्तौड़ा महाजन वैश्य समाज की  मेजबानी में भागवत ज्ञानयज्ञ 
चित्तौड़ा महाजन वैश्य समाज की 

मेजबानी में भागवत ज्ञानयज्ञ

इंदौर। भक्ति किसी भी रूप में हो, उसका प्रतिफल अवश्य मिलता है। विडम्बना है कि हमें वृद्धावस्था में ही भक्ति का जुनून चढ़ता है। यदि बाल्यकाल से ही भक्ति के संस्कार मिलें, तो वृद्धावस्था संवर जाती है। भक्ति के बीज बचपन में डालें, पचपन की उम्र में नहीं। भक्ति में निष्काम भाव होना चाहिए। भक्ति में पाखंड या प्रदर्शन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता।  
   चंद्रसरोवर मथुरा के भागवताचार्य पं. यादराम शास्त्री ने श्री नागर चित्तौड़ा महाजन वैश्य समाज के तत्वावधान में विश्वकर्मा नगर स्थित मांगलिक भवन पर चल रहे भागवत ज्ञानयज्ञ में ध्रुव एवं भरत चरित्र प्रसंगों की व्याख्या के दौरान उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में मंगलाचरण के बीच यजमान समूह के गिरीश गुप्ता, सीए महेंद्र हेतावल, ओंकारलाल गजेश्वर, अशोक हेतावल, समाज के अध्यक्ष राजेंद्र महाजन, सचिव सीए प्रकाश गुप्ता आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। पं. शास्त्री 14 सितंबर तक प्रतिदिन दोपहर 1 से सांय 6 बजे तक कथामृत की वर्षा करेंगे। सोमवार 9 सितंबर को प्रहलाद चरित्र एवं नृसिंह अवतार, 10 को राम एवं कृष्ण अवतार, 11 को बाललीला एवं छप्पन भोग, 12 को महारास एवं फागोत्सव तथा रूक्मणी विवाह, 13 को सुदामा चरित्र एवं गुरूगीता तथा शनिवार 14 सितंबर को सुबह यज्ञ-हवन के साथ पूर्णाहुति होगी। कथा प्रसंगानुसार उत्सव भी मनाए जाएंगे। समाज द्वारा भागवत ज्ञान यज्ञ के आयोजन का यह लगातार 27वां वर्ष है।