भारी बारिश के बाद भी गणेश विसर्जन  की झांकियां नहीं थमी, अखाड़े निकले  
भारी बारिश के बाद भी गणेश विसर्जन 

की झांकियां नहीं थमी, अखाड़े निकले 

  इंदौर। शहर में अनंत चतुर्दशी की परंपरा पर भारी बारिश भी असर नहीं डाल सकी। बारिश ने रास्ता रोकने की कोशिश की, लेकिन परंपरा टूटी नहीं। झांकियां सड़कों पर थीं, भले ही झिलमिलाई नहीं, लेकिन थमी भी नहीं। आखिरकार जब बूंदों की थिरकन थमने लगी तो उत्सवी परंपरा का उल्लास आल्हाद में बदल गया। संभवत: पहली बार ऐसी स्थिति बनी जब झांकियों के दौरान इतनी तेज बारिश हुई, हालांकि बूंदों के प्रहार से झांकियां जख्मी हुईं, लेकिन कारवां बढ़ता रहा। 

  झांकियों की बिजली बंद थी, लेकिन हौंसला कायम रहा। पूरी तैयारी से आए अखाड़े झांकियों के पीछे भले ही नहीं चल पाए, लेकिन कलाकारों का जोश भी कम नहीं था। अखाड़े के कलाकार बरसते पानी में भी जोशीला प्रदर्शन करते रहे। निर्णायक मंच के सामने अखाड़ों का कौशल देखने लायक था। शाम सात बजे से झांकियां डीआरपी लाइन पर आनी शुरू हो गई थीं। सबसे आगे खजराना गणेश की झांकी थी। शाम साढ़े सात बजे गणेशजी की झांकी चिमनबाग चौराहा पार कर चुकी थी। उसके पीछे नगर निगम और आईडीए की झांकियां थीं। झांकियों को देखने के लिए ज्यादा भीड़ नहीं जुटी थी। झांकी मार्ग के कुछ हिस्सों में तो एक-डेढ़ फीट पानी भर गया था।

अटकी रही झांकी
  बारिश के कारण 10.15 बजे श्रम शिविर पर राजकुमार मिल की झांकी अटकी थी। इसकी लाइटें बंद थी। इस मिल द्वारा तैयार की गई दो झांकी में हाइड्रोलिक व चार जनरेटर का उपयोग किया गया था लेकिन इनका बारिश के कारण उपयोग नहीं हो पाया। राजकुमार मिल की झांकी में कृष्ण के मटकी फोड़ के दृश्य को आकर्षक पुतलों के साथ दर्शाया गया था।  
कुर्सियां खाली रही 
  अखाड़ों के स्वागत के लिए लगे मंच पर कुर्सियां खाली रहीं। स्वागत करने वाले पानी से बचने के लिए इधर-उधर शरण लेते रहे। कुछ मंच वाटरप्रूफ थे, वहां से स्वागत होता रहा। निर्णायक मंच पर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव, एसएसपी रुचि वर्धन मिश्र सहित अन्य अधिकारी अखाड़ों का उत्साहवर्धन करते रहे। इस बारिश से फुटकर विक्रेताओं को बड़ा नुकसान हुआ। ये वो फुटकर विक्रेता हैं जो झांकी मार्ग के आसपास खिलौने व खाने-पीने की सामग्री बेचते हैं। वे जैसे-तैसे अपनी सामग्री बचाते रहे। कम भीड़ के कारण उनकी ज्यादा ग्राहकी भी नहीं हुई। किसी ने पकौड़े के लिए घोल तैयार कर रखा था तो कोई तले हुए पापड़ बेचने के लिए लाया था, लेकिन बारिश के कारण उनके चेहरे उतर गए। 
 तेज बारिश होने के कारण चल समारोह की झांकियों की लाइट्स व मोटर रोटेशन बंद करवाया गया। कई झांकियां जो अपने रोटेशन व लाइटिंग के कारण आकर्षक का केंद्र रहती थीं, वे अंधेरे में ही आगे बढ़ती रहीं। हुकमचंद मिल की झांकी में विष्णुजी के शेषनाग की शैया और नाभि से ब्रह्माजी के निकलने का दृश्य था। यह झांकी फाइबर ग्लास से बनी थी। इस वजह से इस पर बारिश का असर नहीं रहा। हालांकि, इस झांकी की विद्युत छटा बंद रखनी पड़ी। 
पानी के पाउच बिके 
  झांकियों के दौरान होटलों व खाने-पीने की दुकानों पर भी भीड़ नहीं रही। नगर निगम ने शहर में पानी के पाउच की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन झांकी के दौरान जेल रोड पर कई दुकानों और विक्रेताओं ने नियमों को ताक में रखकर धड़ल्ले से पानी के पाउच बेचे।

हुकुमचंद मिल प्रथम 
 भारी बारिश के बावजूद पूरी रात इंदौर की सड़कों पर अंनत चतुर्दशी पर नयनाभिराम झाकियां निकली। पुरस्कारों की घोषणा लर दी गई है। इसमे हुकुमचंद मिल की ली झांकी प्रथम व मालवा मिल की दूसरे नम्बर पर रही। तीसरा संयुक्त पुरस्कार कल्याण व स्वदेशी मिल को दिया गया। इधर अखाड़ों में 'बाना वर्ग” में छोगालाल उस्ताद व्यायामशाला तथा “पटा वर्ग” में चंद्रपाल उस्ताद व्यायामशाला को प्रथम स्थान मिला। कल रात हुई इतनी बारिश के बाद भी इंदौर की जनता झांकी देखने के लिए डटी रही। लोगो का उत्साह तारीफे काबिल था जो बारिश में भीगते हुए नयनाभिराम झांकियो और अखाड़े के करतब को देख रहे थे।