भाजपा के मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति  में विधायकों का दखल नहीं, सलाह लेंगे   
भाजपा के मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति 

में विधायकों का दखल नहीं, सलाह लेंगे  

इंदौर। भाजपा में सबसे मजबूत इकाई माने जाने वाले मंडलों में अब विधायकों की एकाधिकार नहीं चलेगा। उनसे सिर्फ राय ली जाएगी ताकि विवाद की स्थिति न बने। पार्टी का प्रयास रहेगा कि क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ता को मौका दिया जाए। हालांकि, प्रदेश संगठन की मंशा बहुत कठिन है, क्योंकि मंडलों में चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति विधायकों की पसंद से ही हुई है।
  भाजपा में संगठन चुनाव का शंखनाद हो गया है। बूथ समिति के चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है तो अक्टूबर में मंडल अध्यक्ष व उसकी टीम का गठन हो जाएगा जिसे पार्टी में सबसे मजबूत व जमीनी इकाई माना जाता है। इसको लेकर प्रदेश भाजपा ने गाइड लाइन तैयार कर दी है। उसके मुताबिक मंडल अध्यक्ष 35 साल से अधिक उम्र का नहीं होगा, लेकिन विशेष परिस्थिति व कार्यकर्ता की मजबूत पकड़ व निष्ठा को देखकर उसे 45 साल वाले को बनाया जा सकता है। इसके अलावा पार्टी ने जिले के चुनाव प्रभारियों को एक मजबूत संदेश भी दिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि विधायकों की पसंद से मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति करने के बजाए संगठन के लिए काम करने वालों को मौका दिया जाए। विधायक से राय जरूर ले ली जाए, लेकिन उनके कहने पर ऐसे कार्यकर्ता को नहीं बनाया जाए जिसका विरोध हो। नियुक्तियों में इस बात का भी ध्यान दिया जाएगा कि एक ही परिवार के सदस्यों को अलग-अलग महत्वपूर्ण पद पर काबिज नहीं किया जाएगा।
22 से 28 के बीच नियुक्ति
  नगर भाजपा ने बूथ समिति के चुनाव को लेकर पदाधिकारी व मंडल अध्यक्षों की बैठक बुलाई थी। चर्चा के दौरान तय किया गया कि एक वार्ड में चार पांच लोगों की टीम बनाई जाए जो कि बूथ समितियों का चुनाव करेगी। 22 से 28 सितंबर के बीच में सभी बूथ समितियों के चुनाव हो जाएंगे। प्रत्येक बूथ में 20 लोगों की समिति बनेगी जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व महामंत्री भी होंगे। बड़ी बात यह है कि युवा, महिला, अजा, अजजा और पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों को प्रतिनिधित्व देना है। ये समिति बाद में मंडल अध्यक्ष का चयन करेगी।