सोशल मीडिया से 90% महिलाएं  ऑनलाइन प्रताड़ना का शिकार!  
सोशल मीडिया से 90% महिलाएं 

ऑनलाइन प्रताड़ना का शिकार!

इंदौर। बदलते समय के साथ आज लगभग तीसरा व्यक्ति इंटरनेट का उपयोग कर रहा है। जिस तेजी से इसका उपयोग हो रहा है। उसी तेजी से ऑनलाइन धोखाधड़ी और महिलाओं को बदनाम करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। सोशल मीडिया के कारण ऑनलाइन प्रताड़ना का शिकार होने वालों में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। वहीं बच्चों की संख्या भी कम नहीं है।
   शिकायतों की समीक्षा के बाद पुलिस के सामने ये तथ्य सामने आया। एएसपी शैलेंद्रसिंह चौहान के मुताबिक, हर वर्ग के लोग ऑनलाइन ठगी के शिकार हो रहे हैं। पुलिस ने महिला व बच्चों को लेकर छानबीन की, तो हैरत में डालने वाला यह तथ्य सामने आया। शिकायतों की समीक्षा में पता चला कि महिलाएं अपनी सुविधा व सहूलियत के लिए इंटरनेट इस्तेमाल करती हैं! लेकिन, जाने-अनजाने वे प्रताड़ना का शिकार हो जाती हैं। उन्हें समझ ही नहीं आता कि वे कब किसी साजिश का शिकार हो गई! ठगी तो कम, उन्हें प्रताड़ित ज्यादा किया जाता है। यह उनकी छवि खराब करने से लेकर ब्लैकमेल करने तक होता है। एएसपी के मुताबिक, शिकायतों की जांच में पता चला कि ऑनलाइन प्रताड़ना (हरेसमेंट) की शिकायतों में पुरुषों की संख्या मात्र 10 प्रतिशत और महिलाओं-युवतियों की 90 प्रतिशत है। इससे साफ होता है, इंटरनेट इस्तेमाल करने वाली लगभग सभी महिलाएं कभी न कभी प्रताड़ना का शिकार होती हैं। इसी तथ्य के आधार पर उन्हें सचेत भी किया जा रहा है।
एप का चक्कर 
  बच्चों को लेकर छानबीन करने पर पता चला, वे एप के चक्कर में वे ऐसे फंस जाते हैं कि पालकों को भी बता नहीं पाते। ऑनलाइन एप, खासकर गेम्स के एप बच्चों को सबसे ज्यादा परेशान कर रहे हैं। कई बार बच्चा डिप्रेशन में चला जाता है। माता-पिता को परेशानी पता चलती है, तो पुलिस अथवा काउंसलर की मदद लेते हैं। पालकों की शिकायत से सामने आया कि करीब 56 प्रतिशत मामलों में बच्चे 24 घंटे ऑनलाइन रहते हैं, जो बहुत घातक है। काउंसलर ने बात की तो पता चला, 47 प्रतिशत मामलों में बच्चे आत्महत्या करने तक की सोचने लगते हैं। एएसपी का कहना है, जागरूकता अभियान के तहत पालकों को भी यह तथ्य बताकर पुलिस सजग कर रही है।
शिकायतों का आधार 
   ऑनलाइन प्रताड़ना की शिकायतों में 90 प्रतिशत पीड़ित महिलाएं होती हैं। 10 प्रतिशत पीड़ित पुरुष है। बच्चों के विरुद्ध लैंगिक अपराध का प्रतिशत 82 है। बच्चों के ऑनलाइन रहने का प्रतिशत 56 है। 47 प्रतिशत मामलों में बच्चों के मन में आत्महत्या का विचार आता है। महिलाओं के साथ प्रताड़ना के 12 प्रतिशत मामले फेसबुक पर और 88 प्रतिशत मामले वॉट्सएप पर होते हैं।
जागरूकता अभियान
  इस संबंध में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऑनलाइन प्रताडऩा व शिकायतों के मामलों में महिला व बच्चे ज्यादा प्रभावित रहते हैं। इसलिए स्कूल-कॉलेजों में छात्राओं को जागरूक किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है, किस तरह इस तरह की प्रताडऩा से बचने के लिए सजग रहें। पुलिस इस तरह के मामलों में लगातार सख्त कार्रवाई कर रही है।