शहर में पिछले साल से 50 प्रतिशत ज्यादा बारिश  
शहर में पिछले साल से 50 प्रतिशत ज्यादा बारिश  

इंदौर। शहर पर मानसून की मेहरबानी बनी हुई है। बंगाल की खाड़ी के सिस्टम और अरब सागर की नमी से शहर की खुशियां लबालब हो गई। अब तक पिछले साल से 50 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है। अगस्त के अभी 12 दिन बचे हैं, मौसम विभाग से संकेत भी अच्छे मिल रहे हैं। 

  दो-तीन दिन में बनने वाल सिस्टम सही बरस गया, द्रोणिका और हवाओं ने दगा नहीं दिया तो इस साल बारिश का औसत कोटा 34.5 इंच अगस्त में ही पूरा हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो सितंबर में होने वाली 12 इंच औसत बारिश इस बार सरप्लस रहेगी, इसे सहेजा जा सकता है। मानसून इस साल देर से आया, लेकिन दुरुस्त आया। प्रदेश में नदी-तालाब लबालब हो चुके हैं। शहर के भी हालात कुछ ऐसा ही हैं। पिछले वर्षों से बारिश की स्थिति अच्छी रही है। पिछले साल अब तक 20 इंच ही बारिश हुई थी। इस साल देखें तो आंकड़ा 29.6 इंच पार चुका है, यानी 50 प्रतिशत ज्यादा पानी शहर को मिल चुका है। रविवार 18 अगस्त तक होने वाली औसत बारिश को भी देखें तो 22 इंच के मुकाबले यह 40 प्रतिशत अधिक है। शहर के आसपास तालाबों की स्थिति भी बेहतर है। यशंवत सागर और सिरपुर तालाब लबालब हो गए हैं, जबकि अन्य तालाब जो पिछले साल तक एक तिहाई भरे थे, उनमें भी अब पानी झकोले ले रहा है, लेकिन क्षमता के मुकाबले आधे भी नहीं भरे हैं। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दो-तीन दिन ऐसा ही बारिश होती रहेगी दो-तीन दिन के बाद अच्छा सिस्टम बनने के संकेत मिल रहे हैं। इसमें भादो जैसी झड़ी की उम्मीद है।
   मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अगस्त में अच्छे मानसूनी सिस्टम बने। खासकर बंगाल की खाड़ी से प्रदेश की ओर अच्छा पानी आया। इंदौर सहित पश्चिम मप्र में भी अच्छी बारिश की संभावना देखी गई। बदरा बरसे भी, लेकिन इंदौर को इसका पूरा लाभ नहीं मिल सका। इसकी वजह सिस्टम बनते ही हवा की गति बढ़ने से द्रोणिका ऊपर की ओर चली गई, परिणाम यह रहा कि उत्तर-पूर्वी और निचले पश्चिमी हिस्से को तरबतर कर दिया। दोनों ही बार बारिश मिली, लेकिन रुक-रुक कर हुई जबकि सिस्टम के अनुरूप पानी तेज बरसना चाहिए था। यदि सब कुछ ठीक रहता तो औसत कोटा अब तक पूरा हो जाता। अभी मानसून के 43 दिन बचे हैं। अगस्त में होने वाली बारिश का कोटा पूरा हो चुका है। सितंबर में औसत 12 इंच बारिश होती है।