सरकारी गौशाला की शुरुआत
15 अगस्त को, सौ गाय रखेंगे
इंदौर। जिले की पहली सरकारी गौशाला का स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त को शुभारंभ होगा। यहां 100 गाय रखने की व्यवस्था की जा रही है। महू तहसील की सिमरोल ग्राम पंचायत में इसे अंतिम रूप देने का काम द्रुतगति से चल रहा है। जिला पंचायत के अनुसार कांग्रेस सरकार ने अपने वचन पत्र में गौशाला निर्माण की बात कही थी।
कमलनाथ सरकार की घोषणा के बाद 3000 स्क्वेयर फीट जमीन की तलाश की गई। मशक्कत के बाद सिमरोल के समीप जगजीवन ग्राम नगर में शासकीय जमीन रिक्त मिली। जगजीवनग्राम नगर में ही आने वाले दिनों में आईआईटी का काम शुरू होगा। वर्ष 2008 में आईआईटी निर्माण कार्य का शुभारंभ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने किया था। आईआईटी 600 एकड़ जमीन पर तैयार होगा। गौशाला के लिए जमीन मिलने के बाद काम तेजी से शुरू कर दिया गया। 80 फीसदी काम गौशाला का पूर्णता की ओर है। शेष 20 प्रतिशत काम एक सप्ताह में पूरा हो जाएगा। जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी नेहा मीणा ने बताया कि इस गौशाला में सड़क पर आवारा घुमने वाली, चौराहों पर बैठकर यातायात व्यवस्था प्रभावित करने वाली गाय को रखा जाएगा।
गौशाला के संचालन का काम स्व सहायता समूह की महिलाओं को सौंपा जाएगा। गौशाला में पांच महिलाओं की नियुक्ति की जाएगी। गाय के लिए चारा, भूसा और कपास्या खली की खरीदी सरकारी खर्च की जाएगी। जबकि, गौशाला की गाय के दूध को गांवों में बेचा जाएगा। दूध बेचने से जो राशि प्राप्त होगी, उसमें से आधा हिस्सा महिला कर्मचारी के वेतन तथा आधा हिस्सा सरकार के खाते में जमा किया जाएगा। गौशाला में रखी जाने वाली गाय के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए किशनगंज स्थित वेटरनरी कॉलेज के डॉक्टर की नियुक्ति की गई है। ये डॉक्टर हर सप्ताह गायों के स्वास्थ्य का परीक्षण करेंगे। कोशिश रहेगी की गाय पूरी तरह स्वस्थ रहे। महिला कर्मचारियों की भी जिम्मेदारी रहेगी कि वे बीमार गाय की सूचना तत्काल डॉक्टर के साथ जिला प्रशासन को दे। ऐसा नहीं करने पर कर्मचारी की सेवा समाप्त की जा सकती है।
जिम्मेदारी सौंपी
सड़क पर विचरण करने वाली गायों को पकड़कर लाने की जिम्मेदारी पंचायतकर्मियों को सौंपी जाएगी। वे गाय को लेकर आएंगे। एक बार गौशाला पहुंचने के बाद गाय वापस उसके मालिक को नहीं सौंपी जाएगी। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि गाय मालिक अपने मवेशी को आवारा नहीं छोड़े। गाय को वापस नहीं देने से पशुपालकों की इस तरह की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी, वहीं यातायात व्यवस्था भी दुरुस्त हो सकेगी।
20 गौशाला बनेंगी
गौशाला के संचालन का काम स्व सहायता समूह की महिलाओं को सौंपा जाएगा। गौशाला में पांच महिलाओं की नियुक्ति की जाएगी। गाय के लिए चारा, भूसा और कपास्या खली की खरीदी सरकारी खर्च की जाएगी। जबकि, गौशाला की गाय के दूध को गांवों में बेचा जाएगा। दूध बेचने से जो राशि प्राप्त होगी, उसमें से आधा हिस्सा महिला कर्मचारी के वेतन तथा आधा हिस्सा सरकार के खाते में जमा किया जाएगा। गौशाला में रखी जाने वाली गाय के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए किशनगंज स्थित वेटरनरी कॉलेज के डॉक्टर की नियुक्ति की गई है। ये डॉक्टर हर सप्ताह गायों के स्वास्थ्य का परीक्षण करेंगे। कोशिश रहेगी की गाय पूरी तरह स्वस्थ रहे। महिला कर्मचारियों की भी जिम्मेदारी रहेगी कि वे बीमार गाय की सूचना तत्काल डॉक्टर के साथ जिला प्रशासन को दे। ऐसा नहीं करने पर कर्मचारी की सेवा समाप्त की जा सकती है।
जिम्मेदारी सौंपी
सड़क पर विचरण करने वाली गायों को पकड़कर लाने की जिम्मेदारी पंचायतकर्मियों को सौंपी जाएगी। वे गाय को लेकर आएंगे। एक बार गौशाला पहुंचने के बाद गाय वापस उसके मालिक को नहीं सौंपी जाएगी। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि गाय मालिक अपने मवेशी को आवारा नहीं छोड़े। गाय को वापस नहीं देने से पशुपालकों की इस तरह की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी, वहीं यातायात व्यवस्था भी दुरुस्त हो सकेगी।
20 गौशाला बनेंगी
सरकार के आदेशानुसार जिले में 20 गौशाला निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। इसी क्रम में महू के बाद देपालपुर तहसील में दूसरी गौशाला तैयार करने के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी गई है। जमीन गांव के मुख्य मार्ग पर तलाशी जा रही है। आंतरिक मार्गों पर जमीन रिक्त होने के बावजूद उसे अधिग्रहित नहीं किया जाएगा।