पाँच साल में प्रधानमंत्री आवास के दो हज़ार  फ्लैट बुक, लेकिन आवंटन अब तक नहीं!
पाँच साल में प्रधानमंत्री आवास के दो हज़ार 

फ्लैट बुक, लेकिन आवंटन अब तक नहीं

  इंदौर। प्रधानमंत्री आवास योजना में निगम कछुआ गति से चल रहा है। पांच साल से योजना में अभी तक बमुश्किल 2000 फ्लैटों की बुकिंग कर सकी। आवंटन के पते नहीं है। खरीददार भी तलाशे जाने से नहीं मिल रहे। फ्लैटों के आवंटन की समयसीमा 2022 रखी गई है। समयसीमा खत्म होने में मात्र ढाई साल बाकी है। ऐसे में 60 हजार फ्लैट कैसे बुक होंगे, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। 

  योजना के प्रभारी अपर आयुक्त रजनीश कसेरा को बनाया गया है। इसके पहले कार्यपालन यंत्री डीआर लोधी के पास प्रभार था। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबों को खुद के आशियाने देने को लेकर योजना का शुभारंभ किया था। योजना के तहत जिले में गरीबों व अन्य मध्यमवर्गीय लोगों को 60,000 आवास सस्ते दाम पर उच्च क्वालिटी के बनाकर देने की बात कही थी। योजना के लिए शहर में नगर निगम तथा गांवों में नगरीय निकाय को नोडल एजेंसी बनाया गया है। शहर में देवगुराडिय़ा, भूरी टेकरी, बड़ा बागंड़दा, लिंबोदी, गोम्मटगिरी में बड़े पैमाने पर वन बीएचके, टू बीएचके तथा थ्री बीएचके फ्लैटों का निर्माण जारी है। पांच साल में केवल कुछ फ्लैट भूरी टेकरी व गोम्मटगिरी में आकार ले चुके हैं। भूरी टेकरी पर ग्राउंड फ्लोर में झुग्गी झोपड़ी वालों को 250 फ्लैट नि:शुल्क आवंटित किए गए हैं। फ्लैटों की कीमत अत्यधिक रखी गई है। शहर से दूर होने के कारण लोग इसमें रुचि नहीं ले रहे। वहीं एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि आवेदन जमा करने के साथ कुछ राशि पहले जमा कराई जा रही है, जो गरीब के बूते की बात नहीं है। यही कारण है कि निगम का यह करोड़ों का प्रोजेक्ट खटाई में पड़ता जा रहा है। 
प्रयास विफल
  निगम ने फ्लैट आवंटन के लिए झोन स्तर पर शिविर लगाए। पालिका प्लाजा स्थित ऑफिस पर दिनभर लोगों को फ्लैट संबंधी जानकारी दी जा रही है। लोकसेवा वाहनों पर प्रचार किया जा रहा है। इसके बावजूद ग्राहकों का संकट बढऩा निगम के माथे पर चिंता की लकीरें उभार रहा है। निगम परिसर में प्रधानमंत्री आवास योजना के फ्लैटों की बुकिंग का क्रम चल रहा है। दो दिन में मात्र 350 लोग ही पहुंचे और उन्होंने योजना की विस्तार से जानकारी ली। इनमें केवल 50 लोगों ने फ्लैट लेने की सहमति जताई है। इससे निगम ने कुछ राहत महसूस की है।
   योजना के तहत जिन स्थानों पर फ्लैट बनाए जा रहे हैं, वह शहरी सीमा से लगे हुए हैं। वहां तक सीधे तौर पर कोई लोकसेवा वाहन नहीं है। बड़ा बांगड़दा के पास ग्राम पालाखेड़ी  में जहां फ्लैट बन रहे हैं, वहां से शहरी सीमा तीन से चार किलोमीटर है। यानि, आमजन को खरीदी व अन्य कार्य के लिए रोजाना इतनी लंबी दूरी तय करना होगी। इससे समय के साथ ईंधन भी अत्यधिक लगेगा।
 फ्लैट बुक कराने वालों को निगम अपनी अनुशंसा पर बैंक से लोन दिलाने में करेगा। लेकिन, बैंक खरीददार से जो दस्तावेज व गारंटी मांग रही है, वह उपलब्ध नहीं होने से भी खरीददार पीछे कदम बढ़ा रहे हैं। फ्लैट लेने के बाद मात्र 18 माह में सारा पैसा चुकाना भी बड़ा संकट है। यह भी एक कारण फ्लैट की बुकिंग में बाधक बन रहा है।