कुपोषण मुक्ति के लिए विशेष मुहिम बीमार बच्चों के इलाज के निर्देश! 
कुपोषण मुक्ति के लिए विशेष मुहिम

बीमार बच्चों के इलाज के निर्देश!

  इंदौर। कमिश्नर आकाश त्रिपाठी ने संभाग के महिला बाल विकास अधिकारियों की कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि इंदौर संभाग को कुपोषण से मुक्त करने के लिए हम सब मिलकर विशेष मुहिम चलाएं। कोई भी काम कठिन जरूर है, मगर असंभव नहीं। हम सब टीम भावना से काम करें। इस मुहिम में स्वास्थ्य और आयुष विभाग का भी सहयोग लिया जाए। 

  उन्होंने कहा कि आँगनवाड़ी कार्यकर्ता हितग्राहियों को प्रतिदिन तीन बार पोषण आहार प्रदान करें और हर 15 दिन में बच्चों का वजन लें। इससे प्रगति की स्थिति मालूम पड़ेगी। संभाग के सभी पोषण पुर्नवास केन्द्रों में हमेशा सीटें भरी रहना चाहिये। जो आँगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवन में लग रहे हैं, उन्हें आसपास के स्कूल भवन में शिफ्ट किया जाये। महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों की गोपनीय चरित्रावली उनके कामकाज के आधार पर लिखी जाएगी। आँगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को अच्छा काम करने पर पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आँगनवाड़ी कार्यकर्ता स्वयं घर-घर जाकर खाना प्रदान करें। किसी अन्य के भरोसे न रहें। बच्चों को गुड़ और मूंगफली दाने नियमित रूप से देने से कुपोषण दूर हो सकता है। आँगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका घर-घर जाकर बच्चों को आँगनवाड़ी केन्द्र आने के लिए प्रेरित करें। बच्चों को सुबह का नाश्ता और दोपहर के भोजन में कम से कम तीन घंटे का अन्तर होना चाहिए। जिलों में गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों को एम वाय अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है। अतिकम वजन वाले बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण विकासखण्ड मुख्यालय पर या जिले के बड़े-बड़े ग्रामों में शिविर लगाकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा करवाया जा सकता है। बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण जरूरी है। कुपोषण मिटाने के लिये जिलों में सेक्टरवार महिला एवं बाल विकास तथा स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त बैठक आयोजित की जाये। संभाग में 15 जुलाई से 15 अगस्त तक कुपोषण मिटाने की विशेष मुहिम चलायी गई, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। इस दौरान संभाग में 69 बच्चों का वजन इस दौरान 100 से 200 ग्राम बढ़ा है। 
     इस अवसर पर संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास संध्या व्यास ने बताया कि अतिकम वजन श्रेणी में शामिल होने वाले नये बच्चों की जानकारी पृथक से रखी जा रही है। प्रत्येक अतिकम वजन के बच्चे को तीन सुपरवाइज्ड फीडिंग कराई जा रही है। आँगनवाड़ी केन्द्र पर समस्त अतिकम वजन के बच्चों को नाश्ता और खाना खिलाया जा रहा है। नाश्ते एवं खाने के समय में पर्याप्त अंतराल रखा जा रहा है। आँगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से थर्ड मील, टिफिन के रूप में बच्चे के घर पहुंचाया जा रहा है तथा पालकों को निर्धारित समय पर बच्चे को भोजन खिलाने हेतु समझाइश दी जा रही है तथा गृहभेंट के दौरान टेक होम राशन से रेसिपी निर्माण कर छोटे बच्चों को खिलाने के लिये समझाया जा रहा है। 
   उन्होंने बताया कि पर्यवेक्षक अपने परिक्षेत्र में प्रत्येक अतिकम वजन के बच्चे के पालकों को प्रत्येक माह गृह भेंट कर समझाइश दे रही है व बच्चे की वजन वृद्धि, विकास और पोषण की जानकारी उन्हें दी जा रही है। ऐसे अतिकम वजन के बच्चे, जिनका वजन प्रयासों के बाद भी नहीं बढ़ रहा है या कमी हो गई है, उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाकर उपचार कराया जा रहा है। प्रत्येक 15 दिवस में अतिकम वजन के बच्चों का वजन लिया जाकर प्रपत्र में अंकित किया जा रहा है। चिन्हित अतिकम वजन के बच्चों की वजन की वृद्धि की मॉनीटरिंग परियोजना अधिकारी द्वारा की जा रही है। अतिकम वजन के बच्चों की श्रेणी सुधार की पाक्षिक समीक्षा परियोजना स्तर पर तथा मासिक समीक्षा जिला स्तर पर की जा रही है। बैठक को महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री रजनीश सिन्हा ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर इंदौर के सभी जिलों में जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी और परियोजना अधिकारी मौजूद थे।