भ्रष्ट निलंबित लोनिवि इंजीनियर  को लोकायुक्त ने अस्पताल भेजा!  
भ्रष्ट निलंबित लोनिवि इंजीनियर 

को लोकायुक्त ने अस्पताल भेजा!

  इंदौर। सड़क बनाने वाले ठेकेदार से लाखों रुपए की रिश्वत लेते लोकायुक्त पुलिस के शिकंजे में आए लोक निर्माण विभाग के ईई (कार्यपालन यंत्री) को विभाग ने निलंबित कर दिया है। इंजीनियर के घर पर लोकायुक्त पुलिस की सर्चिंग सुबह तक चलती रही। इस दौरान यहां से दस्तावेज और करीब 11 लाख की नकद बरामद किए हैं। लेकिन, लोकायुक्त पुलिस भी इस रिश्वतखोर इंजीनियर के प्रभाव में आ गई और उसे गिरफ्तार करके जेल बजाए अस्पताल भिजवा दिया। 

  मामले के बारे में अधिकारियों का कहना है कि दस्तावेजों की जांच के बाद ही इस मामले में खुलासा किया जाएगा। लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद धर्मेंद्र जायसवाल को लोक निर्माण विभाग ने निलंबित करके सागर अटैच करने के आदेश जारी कर दिए। लेकिन, लोकायुक्त ने उसे गिरफ्तार करने के बजाए एक निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया। जबकि, घटना के समय मौजूद सूत्रों का कहना है कि वो स्वस्थ था और लोकायुक्त ने ये कार्रवाई किसी प्रभाव में की है। कार्यपालन यंत्री के रिश्वत मांगे जाने के बारे में पीडब्ल्यूडी ठेकेदार मेहरुद्दीन खान ने लोकायुक्त एसपी सराफ को मय सबूत शिकायत की थी कि उसने मऊ जुलानिया रोड बनाई थी। उसका बिल पास करने के लिए लोक निर्माण विभाग के कार्यपालय यंत्री धर्मेन्द्र जायसवाल रुपए की मांग कर रहे हैं। इसके बाद ठेकेदार मेहरुद्दीन ने बात की तो कार्यपालन यंत्री जायवाल ने तीन लाख रुपए की पहली किश्त मांगी। ठेकेदार की शिकायत के बाद लोाकायुक्त पुलिस की टीम ने ठेकेदार को रंगेहाथ पकडऩे की योजना बनाई और बुधवार की शाम को उसे केमिकल लगे नोट देकर ठेकेदार को जायसवाल को देने के लिए पहुंचाया। पलासिया इलाके में स्थित लोक निर्माण विभाग के कार्यालय के समीप ही जायसवाल का निवास भी है। बुधवार की रात जैसे ही ठेकेदार जायसवाल के पलासिया स्थित घर पर तीन लाख रुपए लेकर पहुंचा और रुपए दिए। वैसे ही पहले से ही सादी वर्दी में मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे पकड़ लिया। 
  अचानक लोकायुक्त पुलिस को देख जायसवाल के होश उड़ गए। इस कार्रवाई के बाद अलसुबह करीब साढ़े चार बजे तक लोकायुक्त पुलिस की टीम ने जायसवाल के यहां पर सर्चिंग की। बताया जाता है कि इस दौरान बड़ी संख्या में दस्तावेज जब्त किए गए हैं। साथ ही करीब 11 लाख रुपए नकद मिले हैं। लेकिन, इसमें से 8 लाख रुपए को लेकर जायसवाल कोई साफ़ जवाब नहीं दे सका। इन दस्तावेजों की जांच करने के साथ ही रुपयों के बारे में पता लगाया जा रहा है कि वह यह रुपए कहां से लेकर आया था। माना जा रहा है कि इस कार्रवाई में विभाग के और भी लोगों के नाम सामने आ सकते हैं।