पुलिस थानों की सीमाओं का निर्धारण
डिजिटल मैपिंग से करने के निर्देश! ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgNJ8speVliODCtGvSG8VuRy5qwBDaN4443jbO3I1NDRcBgsSH8RDpYCuciGaQSREsg5e_DIrk8B6lxjDs9qrilkSWxtumWhkLxEhh8mMZ2OMniWsXjPfXOFzVHi8DyfWcDw_wzJF9FMbQ/)
इंदौर। शहर में कई चौराहे ऐसे हैं, जहां वारदात होने के बाद प्रकरण दर्ज करने के लिए पुलिस को मशक्कत करनी पड़ती है। इस मुसीबत का हल निकालने के लिए पुलिस विभाग शीघ्र ही डिजीटल मैपिंग की व्यवस्था शुरू करने जा रहा है। मेप में देखने के बाद संबंधित थाने पर प्रकरण दर्ज करने में आसानी रहेगी।
डिजिटल मैपिंग से सीमांकन होने से ऐसे विवादों का पटाक्षेप हो जाएगा। पांच दिन पहले सुपर कारीडोर पर दो महिलाओं के साथ हुई लूट की वारदात के बाद प्रकरण दर्ज करने को लेकर तीन थानों की पुलिस उलझी रही। वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद बाणगंगा पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया। ऐसी स्थिति शहर के कई चौराहों व इलाकों में बनी रही है। कई घंटे तक सीमा रेखा के विवाद में पुलिस अधिकारी जूझते रहते हैं। चौराहे व इलाके ही नहीं, सड़क के एक छोर से दूसरे छोर पर थाना बदल जाता है। हर बार वरिष्ठ अधिकारियों को हस्तक्षेप करना मजबूरी बन जाता है। यह हालत कई वर्षों से जस के तस बने हुए हैं। सरकारें बदल गई, विकास की गति तेजी से चल रही है। अत्याधुनिक संसाधन बाजार में उपलब्ध हैं।
संचार क्रांति के साथ वैज्ञानिक पद्धतियों ने भी पैर पसार लिए हैं, मगर सीमा रेखा के झगड़े के स्थाई निराकरण को लेकर किसी भी सुध नहीं ली। नित नए अधिकारी शहर में आमद देते हैं। अपराध रोकना, सुरक्षा प्रदान, पुलिस को संसाधन देना, पुलिस की मदद करने जैसे कामों का खूब बखान करते हैं, मगर सीमा रेखा के मुद्दे पर ध्यान कतर्ई नहीं दिया जाता है, जिसका खामियाजा पीडि़त पक्ष भुगतने को मजबूर है। एसएसपी रुचिवर्धन मिश्र ने इस समस्या को गंभीर माना है और इसके निराकरण के लिए डिजीटल मेप की व्यवस्था शुरू कर दी है। आने वाले दिनों में डिजीटल मेप से आएदिन होने वाले विवादों के निपटारे हो सकें। पुलिस को भी सीमा रेखा का वास्तविक क्षेत्रफल पता चल सकेगा।