प्लास्टिक मुक्त करने का दायित्व  नगर निगम का, उन्हें फुर्सत नहीं! 

इंदौर। सरकार ने प्रदेशभर में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए। इसके बावजूद सरकारी दफ्तरों में प्लास्टिक की बोतलों में पानी और चाय के गिलास नजर आ रहे हैं। बैठकों में दिए जाने वाले नाश्ते की प्लेट भी प्लास्टिक से मुक्त नहीं है। शहर को प्लास्टिक मुक्त करने की जिम्मेदारी नगर निगम की है, पर निगम सिर्फ औपचारिकता निभा रहा है।  

   कलेक्टर कार्यालय में भी इस तरह का प्रचलन देखने के बाद अपर कलेक्टर आईएएस दिनेश जैन ने निर्देश दिए हैं कि अब कार्यालय में होने वाली बैठक तथा कार्यशालाओं में आने वाले अधिकारी कर्मचारी या अन्य सहभागियों को पानी प्लास्टिक की बोतलों में देने के बजाए ग्लास में ही दिया जाए। बैठकों के दौरान पानी की केन लाकर रखी जा सकती है, जिसमें से कोई भी व्यक्ति पानी दे सकता है । इसी तरह कैंटीन से आने वाली चाय और नाश्ते के लिए भी संचालक को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वह थर्माकोल या कागज के गिलास का उपयोग करें और कागजों की प्लेट ही नाश्ते के लिए प्रयुक्त की जाए। कार्यशाला व अन्य आयोजनों में दिए जाने वाले भोजन के दौरान प्लेटों का उपयोग किया जाएगा! जिला कार्यालय में अब प्लास्टिक का उपयोग नहीं होगा। उन्होंने अन्य कार्यालयों को भी प्लास्टिक मुक्त करने के लिए निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि शहर को प्लास्टिक मुक्त करने की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी गई है! लेकिन, नगरीय क्षेत्र में अभी भी खुले आम प्लास्टिक की सामग्री का उपयोग होता नजर आ रहा है। दूध की दुकान से लेकर मिठाई तक प्लास्टिक की थैली का उपयोग हो रहा है। इसी तरह सब्जी, फल विक्रेता भी थैलियों के रूप में प्लास्टिक का ही उपयोग करते नजर आ रहे हैं। निगम के अधिकारी सप्ताह में एक-दो बार जाकर निरीक्षण कर अपने कर्तव्य का पालन करते नजर आ जाते हैं। रेस्टोरेंट व जलपानघरो में नाश्ता और चाय के लिए प्लास्टिक की सामग्री का खुले आम प्रयोग किया जा रहा है।  बांधकर दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों को भी पॉलिथीन में ही दिया जा रहा है।

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